Kerala: केरल उच्च न्यायालय ने यौन उत्पीड़न के मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि एफआईआर में देरी होने की वजह से अदालतें इसे खारिज नहीं कर सकती है। न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ ने कहा कि यौन अपराधों की रिपोर्ट करने में देरी को अन्य अपराधों की रिपोर्ट करने में देरी के समान नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। खासकर उस समाज से जहां से हम आते है।
Kerala: नाबालिग बेटी से यौन शोषण
न्यायालय ने कहा कि ऐसी घटनाओं को खारिज करना घातक हो सकती है। वो भी तब जब अभियोजन पक्ष के मामले की सत्यता के बारे में संदेह हों। न्यायालय एक व्यक्ति द्वारा दायर अपील पर विचार कर रहा था, जिस पर अपनी नाबालिग बेटी का कई बार यौन उत्पीड़न करने का आरोप है। इस पर कोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराध का फैसला सुनाया था।
कोर्ट ने सुनाई सजा
कोल्लम के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने उसे पॉक्सो अधिनियम की धारा 9 (एन) के तहत दोषी ठहराया था और उसे पांच साल के कठोर कारावास और 25,000 रुपये का जुर्माना भरने या न भरने पर पोक्सो अधिनियम की धारा 10 के तहत तीन महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी। उसने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया। वहीं बचाव पक्ष से वकील का कहना था कि मामले की रिपोर्ट करने और एफआईआर दर्ज करने में अत्यधिक देरी के आधार पर मामले को खारिज किया जाना चाहिए।