काशी-तमिल संगमम 4.0: वाराणसी में 2 दिसंबर 2025 से “काशी-तमिल संगमम” की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान दोनों प्राचीन शहर के ज्ञान परंपराओं संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास रहेगा।
यह चौथा वर्ष है जब वाराणसी में यह सांस्कृतिक आयोजन हो रहा है।
काशी-तमिल संगमम 4.0 का शुभारंभ
काशी तमिल संगमम 4.0 का शुभारंभ नमो घाट पर होगा। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व पुडुचेरी के उपराज्यपाल के. कैलासनाथन काशी पहुंच गए हैं।
सीएम योगी समेत सभी अतिथियों का एयरपोर्ट पर स्वागत किया गया। इसके बाद कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हुए। इस भव्य संगमम का उद्घाटन सीएम योगी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मिलकर करेंगे।
शहरों से शामिल हुए छात्र
काशी-तमिल संगमम 4.0 : काशी तमिल संगमम में शामिल होने हेतु छात्रों का पहला दल कन्याकुमारी से विशेष ट्रेन द्वारा रवाना हुआ।
कन्याकुमारी से 43, तिरुचिरापल्ली से 86 तथा चेन्नई से 87 छात्र इस यात्रा में सम्मिलित हुए हैं।
बनारस स्टेशन पर पहुंचते ही छात्रों का पारंपरिक तरीके से माला पहनाकर, ढोल-नगाड़ों और ‘हर हर महादेव’ के जयघोष के बीच स्वागत हुआ।
इसके बाद काशी पहुंचकर भ्रमण के बाद शाम को नमो घाट पर आयोजित उद्घाटन समारोह में प्रतिभाग करेगा।
मुख्य थीम: ‘तमिल करकलम-आइए तमिल सीखें’
काशी-तमिल संगमम 4.0 की पहचान इसका भाषाई फोकस है। इस संस्करण का उद्देश्य तमिल भाषा के अध्ययन को केंद्र में लाना है,
इस विश्वास को पुष्ट करते हुए कि सभी भारतीय भाषाएं एक साझा भारतीय भाषा परिवार का हिस्सा हैं।
वाराणसी के स्कूलों में 50 हिंदी जानने वाले तमिल अध्यापक रखे जाएंगे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश आने से पहले भी ये सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ क्लासिकल तमिल में ट्रेनिंग लेंगे।
प्रत्येक अध्यापक 30 छात्रों के बैच के साथ स्पोकेन तमिल मॉडल चलायेंगे। तमिलनाडु से 1,400 से अधिक प्रतिनिधि काशी में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
इनमें छात्र, अध्यापक, लेखक और मीडिया प्रोफेशनल्स, कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों के लोग, पेशेवर और कारीगर, महिलाएं, और अध्यात्मिक विद्वान शामिल हैं।
1.0 से 4.0 तक: काशी तमिल संगमम की यात्रा
काशी-तमिल संगमम 4.0 : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2022 में काशी तमिल संगमम का पहला संस्करण शुरू किया था, जिसमें सांस्कृतिक सेतु की नींव रखी गयी।
ये संस्करण 15 नवंबर 2022 से 16 दिसंबर 2022 तक हुआ। इसमें तमिलनाडु और काशी के बीच रिश्ते को पुनर्जीवित करने के लिए एक ढांचा तैयार किया गया।
इस संस्करण में 2,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या का क्यूरेटेड टूर किया। इससे विरासत, कला और सीधा लोगों से लोगों का लेन-देन शुरू हुआ।
काशी तमिल संगमम 2.0
काशी-तमिल संगमम 4.0 : 17 से 30 दिसम्बर 2023 तक वाराणसी के नमो घाट पर आयोजित काशी तमिल संगमम के दूसरे संस्करण ने उद्घाटन समारोह में स्थापित सांस्कृतिक आदान-प्रदान के पैमाने और गहराई को बढ़ाया।
इस दौरान रियल-टाइम तमिल ट्रांसलेशन जैसी तकनीकी प्रगति हुई। तमिलनाडु से सात अलग-अलग श्रेणियों के 1,435 प्रतिनिधियों ने वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या को कवर करते हुए आठ दिन के टूर में हिस्सा लिया,
जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर, सारनाथ और सुब्रमण्यम भारती के घर जैसे बड़े आध्यात्मिक और तमिल विरासत वाले जगहों के दौरे भी शामिल थे।
काशी तमिल संगमम 3.0
काशी-तमिल संगमम 4.0 : 15 से 24 फरवरी 2025 तक हुए काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण ने तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्कृतिक और बौद्धिक संबंधों को और गहरा किया और विषय वस्तु पर ज़्यादा ध्यान दिया।
इसका विशेष फोकस ऋषि अगस्त्य और भारतीय ज्ञान परंपराओं में उनके योगदान पर था। जिसने प्राचीन तमिल ज्ञान को आधुनिक अनुसंधान से जोड़ने के लिए सेमिनार और कार्यशालाओं को बढ़ावा दिया और प्रतिनिधियों को महाकुंभ तथा राम मंदिर जैसे महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा करवाया।
काशी तमिल संगमम 4.0
काशी-तमिल संगमम 4.0 : चौथा और वर्तमान संस्करण ‘तमिल करकलम’ (आइए तमिल सीखें) थीम के साथ एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है, जो तमिल भाषा सीखने को केंद्र में रखता है।
यह संस्करण काशी में तमिल शिक्षण, 300 छात्रों के लिए तमिलनाडु में स्टडी टूर और ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान जैसी पहलों के माध्यम से दो-तरफा भाषाई और शैक्षणिक विसर्जन पर ज़ोर देता है, जिसका समापन रामेश्वरम में 15 दिसंबर 2025 को होगा।
यह आयोजन ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करता हुआ काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक बंधनों को पुनर्जीवित करने का माध्यम बनेगा।
इस संस्करण में भाग लेने वाले सभी छात्रों को भागीदारी प्रमाणपत्र मिलेगा।
काशी तमिल संगमम 4.0 का समापन
काशी-तमिल संगमम 4.0 : इस वर्ष का संगमम रामेश्वरम में एक विशाल समापन समारोह के साथ खत्म होगा।
यह आयोजन उत्तर भारत के सबसे पवित्र केंद्रों में से एक है काशी से तमिल आध्यात्मिक विरासत की सबसे पवित्र जगहों में से एक रामेश्वरम तक के सफर को प्रतीकात्मक रूप से पूरा करेगा।
यह उत्तर से दक्षिण के आर्क संगमम की असली भावना को दिखाता है। काशी तमिल संगमम 4.0 एक निरंतर चलने वाले सांस्कृतिक मार्ग के रूप में खड़ा है।
यह विरासत को बढ़ावा देकर, भाषा सीखने को प्रोत्साहित करके और लोगों के बीच सीधे संपर्क को मुमकिन बनाकर, साझा सभ्यता के अनुभव के माध्यम से भारत की एकता को और मजबूत कर रहा है।

