Karnataka News: भाजपा समेत विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुस्लिमों को 4 फीसदी आरक्षण देने जा रही है। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बुधवार (16 अप्रैल, 2025) को राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा लाए गए एक विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेज दिया। यह विधेयक सरकारी अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करता है। राज्यपाल ने इस विधेयक में “संवैधानिक प्रतिबंध” होने का दावा किया है।
‘संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता’
राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है। राज्यपाल ने अपने पत्र में कहा, “चूंकि संविधान में धर्म आधारित आरक्षण की अनुमति नहीं है, इसलिए मेरा मानना है कि विधेयक को मंजूरी देने के बजाय, मैं इस विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखना उचित समझूंगा, ताकि अधिक संवैधानिक जटिलताओं से बचा जा सके, क्योंकि इसमें (विधेयक में) संवैधानिक प्रतिबंध शामिल हैं।”
बजट सत्र के दौरान पारित हो चुका विधेयक
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (संशोधन) विधेयक पिछले महीने राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित किया गया था। यह विधेयक बजट सत्र के दौरान पारित हुआ था और फिर राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा गया था। विधेयक में 2 करोड़ रुपये तक के सिविल कार्यों और 1 करोड़ रुपये तक के माल और सेवा अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% अनुबंध आरक्षित करने की मांग की गई है।
विधेयक का विपक्षी दलों ने किया था विरोध
वहीं सरकार का तर्क है कि यह कदम मुस्लिम समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें समान अवसर प्रदान करने के लिए आवश्यक है। यह विधेयक अपनी शुरुआत से ही विवादों में रहा है। विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित बताया है। उनका तर्क है कि धर्म के आधार पर आरक्षण संविधान के खिलाफ है और इससे समाज में विभाजन बढ़ेगा।