झारखंड में डेमोग्राफी चेंज: बंगाल की ही तर्ज पर झारखंड में भी अवैध बांग्लादेशियों की घुसपैठ जारी है।
इसको लेकर झारखंड के संथाल परगना इलाके में जनजातीय समाज अब अपनी पहचान, जमीन और भविष्य को लेकर खुलकर आवाज़ उठाने लगा है।
ढोल-नगाड़े और डुगडुगी के साथ जनजातीय समाज ने साफ ऐलान किया है कि अब वे न तो अपनी जमीन बागंलादेशी को देंगे नाहि अपनी बेटियों की शादी गैर समुदाय में करेंगे।
इसी के साथ ही जो गांव की बेटियों से शादी करने के बाद जमाई टोला यहीं बस जाता है ऐसे लोगों को यहां बसने नहीं दिया जाएगा।
झारखंड में डेमोग्राफी चेंज: बांग्लादेशियों को उखाड़ फेंकने का आंदोलन
बांग्लादेशियों को उखाड़ फेंकने का आंदोलन साहिबगंज, पाकुड़, राजमहल, गोड्डा, दुमका और आसपास के इलाकों में तेजी से फैल रहा है।
साहिबगंज इस पूरे अभियान का केंद्र बन गया है। ‘एभेन अखाड़ा जागवार बैसी’ संगठन के नेतृत्व में कई गांवों में बैठकें हुईं,
जिनमें बुजुर्गों, युवाओं और महिलाओं ने खुलकर अपनी बात रखते हुए ऐसे लोगों को गांव से बाहर का रास्ता दिखाने की बात कहीं।
बेटियों से शादी कर उनकी जमीन हड़प ली गई
ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ ऐसे मामले भी सामने आये है। जहां बेटियों से शादी कर उनकी जमीन हड़प ली गई और बाद में उनका धर्म परिवर्तन करा दिया गया।
इसे वे एक सोची-समझी साजिश मानते हैं। इसी वजह से अब जनजातीय समाज ने यह निर्णय लिया है कि बेटियों की शादी गैर-समाज में नहीं होने देंगे।
इस संबंध में कई लोगों ने थाने में आवेदन देकर प्रशासन से कार्रवाई की मांग भी की है।
लोगों का यह भी कहना है कि घुसपैठिए फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।
कई जगहों पर जनजातीय जमीन पर पूरी की पूरी बस्तियां बस गई हैं। जमीन के कागज़ों में नाम बदल दिए गए और धीरे-धीरे गांवों की आबादी और सामाजिक ढांचा बदलने लगा।
झारखंड में डेमोग्राफी बदलने की साजिश
जनजातीय समाज इसे अब सिर्फ जमीन का मामला नहीं मान रहा, बल्कि इसे झारखंड में डेमोग्राफी बदलने की साजिश के रूप में देख रहा है।
उनकी चिंता है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो वे अपने ही इलाके में अल्पसंख्यक बन जाएंगे।
स्थिति को और गंभीर बनाता है अफीम की खेती का मामला। स्थानीय लोगों और रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ इलाकों में अवैध रूप से अफीम की खेती की जा रही है,
जिसकी तस्करी भी होती है। इससे पूरे क्षेत्र में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर डर बढ़ गया है।

