साने ताकाइची
जापान को नई दिशा देने जा रहीं ताकाइची
जापान की सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) ने 4 अक्टूबर 2025 को साने ताकाइची को नया नेता चुना। 64 वर्षीय ताकाइची अब देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने की तैयारी में हैं। उन्होंने पार्टी चुनाव में सेंटरिस्ट उम्मीदवार शिंजिरो कोइजुमी को हराया और अब संसद की औपचारिक स्वीकृति की प्रतीक्षा है।
पार्टी संकट और ताकाइची की चुनौती
ताकाइची वर्तमान प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा की जगह लेंगी, जिन्होंने आंतरिक असंतोष के कारण इस्तीफा दिया। LDP संसद के दोनों सदनों में बहुमत खो चुकी है और दिशा को लेकर असमंजस में है। ताकाइची की जीत को पार्टी के दक्षिणपंथी धड़े की बड़ी सफलता माना जा रहा है, जो राष्ट्रवाद और सैन्य मजबूती पर केंद्रित है।
शिंजो आबे की विरासत की उत्तराधिकारी
ताकाइची खुद को पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की विचारधारा की वारिस मानती हैं। आबे की तरह वे राष्ट्रवादी, सामाजिक रूप से रूढ़िवादी और आक्रामक आर्थिक नीतियों की समर्थक हैं। मार्गरेट थैचर से प्रभावित ताकाइची जापान को फिर से विश्व की महाशक्ति बनाना चाहती हैं और युद्ध-विरोधी संविधान में बदलाव की पक्षधर हैं।
संविधान में बदलाव और चीन पर सख्त रुख
ताकाइची जापान के संविधान के अनुच्छेद 9 को बदलना चाहती हैं, जो देश को स्थायी अहिंसा की नीति से बाँधता है। उनका मानना है कि जापान को चीन जैसे देशों से मुकाबले के लिए अपनी सेना और रक्षा नीति को मजबूत करना चाहिए। वे ताइवान के साथ अर्ध-सैन्य साझेदारी की भी हिमायती हैं।
युद्धकालीन प्रतीकों को लेकर विवाद
ताकाइची अक्सर यासुकुनी मंदिर में श्रद्धांजलि देती हैं, जहाँ उन सैनिकों का भी सम्मान किया गया है जिन्हें युद्ध अपराधी घोषित किया गया था। चीन और दक्षिण कोरिया इसे जापान की पुरानी सैन्यवादी सोच की पुनरावृत्ति मानते हैं। ताकाइची का कहना है कि अब जापान को बार-बार माफी मांगने की आवश्यकता नहीं है।
सामाजिक विचार: महिला अधिकारों पर सीमित दृष्टिकोण
महिला होते हुए भी ताकाइची लैंगिक समानता के मुद्दों पर पारंपरिक रुख रखती हैं। वे शादीशुदा जोड़ों को अलग उपनाम रखने की अनुमति, समलैंगिक विवाह और महिलाओं को शाही उत्तराधिकार का अधिकार देने के खिलाफ हैं। आलोचकों का कहना है कि उनका नेतृत्व महिला प्रगति की दिशा में कोई नया अध्याय नहीं खोलेगा।
अर्थव्यवस्था में ‘आबे-नॉमिक्स’ की राह
आर्थिक नीतियों में ताकाइची ‘आबे-नॉमिक्स’ की समर्थक हैं। वे सरकारी खर्च बढ़ाकर विकास को गति देने की पक्षधर हैं और जापान के केंद्रीय बैंक की ब्याज दर नीति की आलोचक रही हैं। उनका मानना है कि मंदी से जूझती अर्थव्यवस्था को उधार और खर्च से ही संभाला जा सकता है, भले घाटा बढ़े।
कर नीति और मुद्रास्फीति की आशंका
हाल में ताकाइची ने उपभोग कर घटाने का प्रस्ताव दिया था, पर चुनावी दबाव में इसे टाल दिया। यदि वे इसे दोबारा लाती हैं, तो जापान में मुद्रास्फीति और महँगाई बढ़ने का खतरा रहेगा। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कमजोर येन के दौर में यह कदम जोखिम भरा हो सकता है।
विदेशी नीति और नई चुनौतियाँ
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताकाइची को जल्द ही अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक करनी होगी। दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर पुनर्विचार की संभावना जताई जा रही है। ताकाइची आव्रजन के खिलाफ कड़े कदमों की समर्थक हैं और विदेशी पर्यटकों के अनुशासनहीन व्यवहार पर कड़ी टिप्पणी कर चुकी हैं।
अस्थिर राजनीति में दक्षिणपंथी वापसी
विश्लेषकों के अनुसार, ताकाइची की जीत से दक्षिणपंथी मतदाताओं में उत्साह है, पर जापान की राजनीतिक अस्थिरता बनी रह सकती है। संसद में बहुमत के अभाव में उन्हें समझौते करने होंगे, जो उनकी नीतियों को सीमित कर सकते हैं। सान्सेइतो जैसी कट्टर दक्षिणपंथी पार्टियाँ LDP को निरंतर चुनौती देती रहेंगी।
आगे का रास्ता और जोखिम
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ताकाइची की आर्थिक नीतियाँ देश की वित्तीय स्थिरता पर भारी पड़ सकती हैं। साथ ही, चीन और दक्षिण कोरिया के साथ उनके संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। जनता का विश्वास जीतना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि वे राष्ट्रवाद और विकास के बीच संतुलन साधना चाहती हैं।