Jammu & Kashmir: जम्मू-कश्मीर के एक परिवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इस परिवार के छह लोगों को पाकिस्तान भेजने की तैयारी थी, लेकिन कोर्ट ने सरकार से कहा है कि पहले उनके दस्तावेजों की जांच की जाए। जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक परिवार के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाएगा।
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Jammu & Kashmir: परिवार के पास इंडियन डॉक्यूमेंट
परिवार का कहना है कि उनके पास भारतीय आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट जैसे दस्तावेज हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने सुना। कोर्ट ने साफ किया कि यह आदेश सिर्फ इस परिवार के लिए है और इसे दूसरे मामलों में उदाहरण के तौर पर नहीं देखा जाएगा।
पांच लोगों को भेजा जा रहा था पाक
यह मामला अहमद तारिक बट और उनके परिवार से जुड़ा है, जो बेंगलुरु में नौकरी करते हैं। अहमद ने कोर्ट में बताया कि श्रीनगर के फॉरेन रजिस्ट्रेशन ऑफिस ने उन्हें और उनके परिवार के पांच सदस्यों जिसमे, पिता मशकूर बट, मां नुसरत बट, बड़ी बहन आयशा तारिक बट, छोटे भाई अबूबकर बट और उमर बट को पाकिस्तान जाने का नोटिस दिया था। 29 अप्रैल को परिवार के पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें भारत-पाकिस्तान सीमा पर ले जाया गया। वहां से उन्हें कभी भी पाकिस्तान भेजा जा सकता है। अहमद ने इस गिरफ्तारी को गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
गैर-भारतीय बताकर पाकिस्तान भेजने का नोटिस
अहमद ने कोर्ट में कहा कि उनके पिता मशकूर बट 1997 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मीरपुर से भारत आए थे। साल 2000 में बाकी परिवार भी भारत आ गया। तब से वे श्रीनगर में रह रहे हैं। अहमद और उनके भाई-बहनों ने श्रीनगर के स्कूलों में पढ़ाई की। अहमद ने आईआईएम केरल से एमबीए किया और अब बेंगलुरु में नौकरी करते हैं। परिवार के पास आधार, पैन और भारतीय पासपोर्ट जैसे दस्तावेज हैं। फिर भी, उन्हें अचानक गैर-भारतीय बताकर पाकिस्तान भेजने का नोटिस मिला।
25 साल पहले आए पाकिस्तान
कोर्ट ने सवाल किया कि अगर यह परिवार पाकिस्तानी पासपोर्ट पर भारत आया था, तो 25 साल से ज्यादा समय तक यहां कैसे रहा? सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि परिवार का वीजा खत्म होने के बाद भी वे भारत में रुके रहे, लेकिन अहमद का कहना है कि उनके परिवार ने पाकिस्तानी पासपोर्ट भारत में जमा कर दिया था और अब वे वैध भारतीय नागरिक हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने अहमद को सलाह दी कि उन्हें जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट जाना चाहिए था, क्योंकि दस्तावेजों की जांच श्रीनगर में होगी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले हाई कोर्ट में ही दायर हो रहे हैं। कोर्ट ने याचिका को निपटाते हुए कहा कि अगर दस्तावेजों की जांच के बाद सरकार का कोई आदेश अहमद को ठीक न लगे, तो वे हाई कोर्ट जा सकते हैं। इस मामले से नागरिकता और दस्तावेजों की वैधता का मुद्दा सामने आया है। परिवार का कहना है कि उनके पास सारे वैध दस्तावेज हैं, फिर भी उन्हें परेशानी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से परिवार को अभी राहत मिली है, लेकिन अंतिम फैसला दस्तावेजों की जांच पर टिका है।
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