Thursday, June 5, 2025

Jain Acharya Shri Vijay Nityananda Surishwar Ji Maharaj: अहिंसा, शिक्षा और सेवा का के लिए विजय नित्यानंद सूरीश्वर को मिला पद्मश्री

Jain Acharya Shri Vijay Nityananda Surishwar Ji Maharaj: जैनाचार्य श्री विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी महाराज, एक प्रख्यात जैन संत हैं जो न केवल जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित रहे हैं।

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शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक समरसता और साहित्यिक योगदान के लिए भी व्यापक रूप से सम्मानित हैं। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2025 में ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया, जो उनके विशिष्ट योगदान की राष्ट्रीय मान्यता है।

Jain Acharya Shri Vijay Nityananda Surishwar Ji Maharaj: प्रारंभिक जीवन और दीक्षा

श्री महाराज का जन्म 3 अगस्त, 1958 को दिल्ली की एक पंजाबी जैन परिवार में हुआ। मात्र 9 वर्ष की आयु में उन्होंने सांसारिक जीवन त्याग कर जैन मुनि के रूप में दीक्षा ली।

अपने परिवार के साथ उन्होंने सन्यास लिया और उसके बाद संस्कृत, प्राकृत जैसी भाषाओं में गहन अध्ययन किया। वे केवल 35 वर्ष की आयु में ‘आचार्य श्री’ के पद पर प्रतिष्ठित हुए, जो उनकी ज्ञान, तप और नेतृत्व क्षमता का परिचायक है।

सत्य, अहिंसा और आत्मज्ञान का संदेश

जैनाचार्य महाराज ने अब तक 2 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्रा पैदल की है। जम्मू से कन्याकुमारी, कच्छ से कोलकाता तक। यह केवल एक यात्रा नहीं बल्कि अहिंसा, संयम, तप और नैतिक जीवन के संदेश का विस्तार है। उनकी प्रवचन शैली सरल, प्रभावशाली और जीवन को दिशा देने वाली होती है।

शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी योगदान
उन्होंने देशभर में 30 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना या पुनर्निर्माण कराया है। ये संस्थान पहले पंजाब केसरी आचार्य विजय वल्लभ सूरिश्वर जी महाराज द्वारा शुरू किए गए थे, जो श्री महाराज की परंपरा के पूर्ववर्ती थे। उनके द्वारा विकास किए गए प्रमुख संस्थानों में शामिल हैं:

  • 110 वर्षीय श्री महावीर जैन विद्यालय, गुजरात (पुनर्निर्मित)
  • जैन स्टडी सेंटर, शारदा विश्वविद्यालय
  • आचार्य विजय वल्लभ स्कूल, पुणे
  • श्री आत्मा-वल्लभ पब्लिक स्कूल, अबोहर
  • श्री आत्मा वल्लभ जैन कन्या महाविद्यालय, गंगानगर, राजस्थान

इन संस्थानों के माध्यम से 700 से अधिक छात्रों को हर वर्ष नि:शुल्क शिक्षा, कंप्यूटर लैब, और रोज़गार सहायता प्रदान की जा रही है।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य
उन्होंने बिहार के लछवाड़ में महावीर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की स्थापना की, जो अब तक 40,000 से अधिक लोगों को नि:शुल्क चिकित्सा सेवा दे चुका है। यहां आंखों की सर्जरी से लेकर सूक्ष्म चिकित्सा तक की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं — और वह भी संत जीवन के अनुशासन के साथ।

धार्मिक धरोहर का संरक्षण और संवर्धन
श्री महाराज ने भारत भर में 400 से अधिक जैन मंदिरों और तीर्थस्थलों का जीर्णोद्धार कराया है। इससे न केवल तीर्थाटन को बढ़ावा मिला है, बल्कि जैन संस्कृति की विरासत को संरक्षित करने में भी मदद मिली है।

साहित्य और आध्यात्मिक लेखन
उन्होंने अब तक 30 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं जो उनके प्रेरक प्रवचनों पर आधारित हैं। ये पुस्तकें जैन दर्शन, आत्मशुद्धि, अहिंसा, संयम और जीवन मूल्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती हैं।

समाज में सद्भाव और सम्मान
उनके शांत और अनुशासित व्यक्तित्व ने उन्हें “शांतिदूत” का विशेष संबोधन दिलाया। उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों के कारण उन्हें समय-समय पर विभिन्न संगठनों ने ‘कल्याणक तीर्थोद्वारक’, ‘ज्ञान गंगा भागीरथ’, ‘विकास विशारद’, ‘अमन ए मसीहा’, ‘समन्वय सारथी’ जैसे सम्मानों से अलंकृत किया।

विशेष बात यह है कि सिख, मुस्लिम समुदाय और ग्राम पंचायतों ने भी उन्हें सामाजिक समरसता के लिए अनेक सम्मान दिए हैं।

पद्म श्री 2025
भारत सरकार ने वर्ष 2025 में जैनाचार्य श्री विजय नित्यनंद सूरिश्वर जी महाराज को ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया। यह सम्मान धर्म प्रचार, मूल्यपरक शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक समरसता, तीर्थ संरक्षण, और आध्यात्मिक साहित्य में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया। यह इस बात का प्रमाण है कि संन्यास का जीवन भी रचनात्मक और राष्ट्रनिर्माण में अग्रणी हो सकता है।

यह भी पढ़ें: Baijnath Mahraj: धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में बैजनाथ महाराज को मिला पद्मश्री

Madhuri Sonkar
Madhuri Sonkarhttps://reportbharathindi.com/
ETV Bharat में एक साल ट्रेनिंग कंटेंट एडिटर के तौर पर काम कर चुकी हैं। डेली हंट और Raftaar News में रिपोर्टिंग, V/O का अनुभव। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और बॉलीवुड न्यूज पर अच्छी पकड़।
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