Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे ने देश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। जहां एक ओर उनके इस फैसले से संसदीय गतिविधियों में अस्थिरता का माहौल पैदा हुआ, वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने इसे लेकर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस ने सीधे तौर पर सत्ता पक्ष के रवैये पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी।
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Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा की BAC बैठक
पूरा मामला राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की उस महत्वपूर्ण बैठक से जुड़ा है, जिसे सोमवार को शाम 4:30 बजे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुलाई थी। यह बैठक तब बुलाई गई जब सदन की कार्यवाही चल रही थी और कई अहम विधेयकों पर चर्चा प्रस्तावित थी,
लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इस मीटिंग में सत्ता पक्ष की तरफ से राज्यसभा में नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू जैसे प्रमुख चेहरे शामिल नहीं हुए। उनकी अनुपस्थिति को लेकर कांग्रेस नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
सभापति के रिक्वेस्ट पर नाराज हुए धनखड़
बैठक में केवल सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन उपस्थित हुए थे, जिन्होंने सभापति से अनुरोध किया कि मीटिंग को अगले दिन तक के लिए टाल दिया जाए क्योंकि अन्य सदस्य “व्यस्त” हैं।
इस रवैये से नाराज़ उपराष्ट्रपति ने बैठक को समाप्त कर दिया और कुछ घंटों बाद अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद से ही विपक्ष खासकर कांग्रेस, भाजपा पर हमलावर हो गया है।
कांग्रेस ने बीजेपी पर किया हमला
कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने सवाल उठाया कि इतनी महत्वपूर्ण बैठक में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू की अनुपस्थिति क्या केवल संयोग था या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति थी। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति का इस्तीफा अचानक नहीं, बल्कि पहले से तय योजना का हिस्सा था।
भगत ने यह भी आरोप लगाया कि राज्यसभा में जब जेपी नड्डा ने कहा कि “जो मैं बोल रहा हूं, वही रिकॉर्ड में जाएगा”, तो यह बयान सभापति का अपमान है, क्योंकि सदन में जो रिकॉर्ड होता है वह चेयर की अनुमति से ही होता है।
जेपी नड्डा ने दी सफाई
इन आरोपों पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने साफ किया कि वे और रिजिजू किसी अत्यंत आवश्यक संसदीय कार्य में व्यस्त थे और इस बारे में उपराष्ट्रपति कार्यालय को पहले ही सूचित कर दिया गया था।
नड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने राज्यसभा में जो बात कही, वह विपक्षी सांसदों की बार-बार की टोका-टोकी के जवाब में थी न कि सभापति धनखड़ के खिलाफ।