मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में शनिवार को एक धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रम उस समय विवाद का केंद्र बन गया, जब हवाबाग चर्च परिसर में आयोजित क्रिसमस भोज के दौरान झड़प हो गई।
यह कार्यक्रम दिव्यांग बच्चों के लिए आयोजित किया गया था, जिसमें अंधमूक और दृष्टिबाधित विद्यालयों से सैकड़ों बच्चों को आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में भोजन के साथ-साथ मनोरंजन की भी व्यवस्था की गई थी।
हालांकि, इसी आयोजन को लेकर धर्मांतरण के आरोप सामने आए, जिसके बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया।
क्या था कार्यक्रम का उद्देश्य
चर्च से जुड़े ईसाई संगठनों का कहना है कि यह आयोजन पूरी तरह सामाजिक था और इसका उद्देश्य क्रिसमस के अवसर पर दिव्यांग बच्चों के साथ खुशियां साझा करना था।
उनके अनुसार, बच्चों को भोजन कराया गया और उनके लिए सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की गईं। आयोजकों ने साफ कहा कि कार्यक्रम का किसी भी तरह से धर्मांतरण से कोई लेना-देना नहीं था।
हिंदू संगठनों के आरोप
कार्यक्रम की सूचना मिलने के बाद विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और भाजपा से जुड़े कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे। उनका आरोप था कि क्रिसमस भोज की आड़ में बच्चों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। संगठनों का कहना है कि दिव्यांग और असहाय बच्चों को लालच देकर या उनकी स्थिति का फायदा उठाकर धर्म परिवर्तन की कोशिश की जा रही थी। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को धार्मिक स्थल पर बुलाने से पहले प्रशासनिक अनुमति ली गई थी या नहीं।
कैसे बिगड़े हालात
मौके पर दोनों पक्षों के बीच पहले तीखी बहस हुई, जो देखते ही देखते धक्का-मुक्की और फिर मारपीट में बदल गई। झड़प इतनी उग्र हो गई कि चर्च परिसर और आसपास अफरा-तफरी मच गई। सैकड़ों बच्चों की मौजूदगी में हुई इस घटना ने हालात को और संवेदनशील बना दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दोनों पक्षों की ओर से लात-घूंसे चले, जिससे कई लोग घायल हो गए।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही कटंगा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर किया और दोनों पक्षों के कई लोगों को हिरासत में लिया। घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा।
प्रशासन और जांच की स्थिति
पुलिस ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर लिए हैं और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
प्रशासन यह जानने की कोशिश कर रहा है कि कार्यक्रम के आयोजन के लिए आवश्यक अनुमति ली गई थी या नहीं, बच्चों को बुलाने की प्रक्रिया क्या थी और धर्मांतरण के आरोपों में कितनी सच्चाई है।
अधिकारियों का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
जबलपुर में बढ़ता धार्मिक तनाव
यह घटना जबलपुर में बीते एक वर्ष के दौरान सामने आए उन कई विवादों में से एक है, जिनमें धार्मिक आयोजनों को लेकर तनाव की स्थिति बनी है।
शहर में अलग-अलग समुदायों के बीच अविश्वास की खाई गहराती नजर आ रही है, जिसका असर कानून व्यवस्था पर भी पड़ रहा है।
ऐसे मामलों में सबसे ज्यादा चिंता का विषय यह है कि विवादों की चपेट में मासूम और कमजोर वर्ग, खासकर बच्चे, आ जाते हैं।
आगे की राह
फिलहाल इलाके में शांति है, लेकिन यह मामला कई अहम सवाल छोड़ जाता है।
धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों के दौरान पारदर्शिता, प्रशासनिक अनुमति, बच्चों की सुरक्षा और अभिभावकों की सहमति जैसे मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
जांच के निष्कर्ष यह तय करेंगे कि घटना के लिए जिम्मेदारी किसकी है और भविष्य में ऐसे विवादों को कैसे रोका जा सकता है।

