Friday, December 26, 2025

Israel-Iran War: इजरायल और ईरान वॉर के बीच भारत को हो सकता है ये नुकसान

Israel-Iran War: इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत ईरान पर अचानक हवाई हमला कर सबको चौंका दिया। जवाब में ईरान ने 200 से ज़्यादा मिसाइलें दागकर दिखा दिया कि वो भी पूरी तैयारी में है।

अयातुल्ला खामेनेई ने एलान किया कि “अब इजरायल का अंत तय है”, और डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी कि “ईरान को समझौता करना ही होगा, वरना अंजाम बेहद गंभीर होगा।”

हालांकि ये टकराव भले ही पश्चिम एशिया में हो रहा हो, लेकिन इसकी हल्की गूंज भारत तक भी महसूस की जा रही है।

भारत सीधे इस संघर्ष में शामिल नहीं है, लेकिन कुछ अहम मोर्चों पर असर संभव है। हालांकि यह सीमित और अस्थायी रह सकता है।

Israel-Iran War: तेल कीमतों में हलचल

कच्चे तेल की कीमतें एक दिन में 9% बढ़ गईं, जो भारत जैसे आयात-निर्भर देश के लिए चुनौती जरूर है। हालांकि केंद्र सरकार की रणनीतिक तेल भंडारण नीति और वैश्विक साझेदारियों से भारत के पास इस अस्थिरता से निपटने के विकल्प मौजूद हैं।

फिलहाल पेट्रोल-डीजल या रोज़मर्रा की वस्तुओं की कीमतों में बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है, लेकिन स्थिति पर नजर रखना ज़रूरी रहेगा।

उड़ानों के रूट में बदलाव

ईरान, इराक और पाकिस्तान के एयरस्पेस में बंदी के चलते यूरोप-अमेरिका जाने वाली उड़ानों को लंबा रास्ता अपनाना पड़ सकता है।

इससे यात्राएं थोड़ी लंबी और कुछ हद तक महंगी हो सकती हैं, लेकिन एयरलाइंस पहले से ही वैकल्पिक मार्गों पर काम कर रही हैं ताकि यात्रियों को न्यूनतम असुविधा हो।

खाड़ी देशों में काम कर रहे भारतीय

करीब 1 करोड़ भारतीय खाड़ी देशों में काम करते हैं और वहां से भारत को हर साल करीब 45 अरब डॉलर की रेमिटेंस मिलती है।

अभी तक इन इलाकों में हालात शांत हैं, लेकिन अगर युद्ध फैलता है तो वहां रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा पर नजर रखना जरूरी होगा।

भारत सरकार ऐसी किसी भी स्थिति के लिए सतर्क है और पहले भी ऐसे हालात में अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाल चुकी है।

चाबहार पोर्ट और कारोबारी रणनीति

ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत की रणनीतिक योजनाओं का हिस्सा है। मौजूदा हालात इस प्रोजेक्ट की रफ्तार को थोड़ी देर के लिए धीमा कर सकते हैं, लेकिन भारत और ईरान दोनों इसकी दीर्घकालिक अहमियत को जानते हैं और इसे राजनीतिक अस्थिरता से बचाने की कोशिश करेंगे।

निर्यात और समुद्री व्यापार

रेड सी और स्वेज नहर जैसे अहम समुद्री रूट तनावग्रस्त ज़ोन में जरूर आते हैं, लेकिन अभी तक वहां से मालवाहक जहाज़ सामान्य रूप से गुजर रहे हैं।

अगर हालात बिगड़े तो शिपिंग कॉस्ट में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन भारत के पास वैकल्पिक रूट्स और रणनीतियां पहले से तय हैं।

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Madhuri
Madhurihttps://reportbharathindi.com/
पत्रकारिता में 6 वर्षों का अनुभव है। पिछले 3 वर्षों से Report Bharat से जुड़ी हुई हैं। इससे पहले Raftaar Media में कंटेंट राइटर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में कार्य किया। Daily Hunt के साथ रिपोर्टर रहीं और ETV Bharat में एक वर्ष तक कंटेंट एडिटर के तौर पर काम किया। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और एंटरटेनमेंट न्यूज पर मजबूत पकड़ है।
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