इजरायल और हमास में सीजफायर: इज़रायल और हमास के बीच लंबे समय से चल रहे संघर्ष में अब एक नया मोड़ आया है।
इज़रायल की कैबिनेट ने आखिरकार बंधकों की रिहाई और युद्धविराम को लेकर समझौते की रूपरेखा को मंजूरी दे दी है।
इस कदम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की “गाजा शांति योजना” की दिशा में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
इस बीच, अमेरिका ने गाजा युद्धविराम (Truce) की निगरानी के लिए करीब 200 सैनिक इज़रायल भेजने का फैसला किया है।
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इजरायल और हमास में सीजफायर: गाजा सिटी पर इज़रायली हवाई हमला
गुरुवार रात गाजा सिटी के सबरा इलाके में इज़रायल ने एक बड़ा हवाई हमला किया।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में एक बहुमंजिला इमारत ढह गई, जिसमें लगभग 40 लोग मलबे में दब गए।
गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक, चार शव बरामद किए गए हैं जबकि दर्जनों लोग अभी भी फंसे हुए हैं।
इज़रायली सेना (IDF) ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह कार्रवाई हमास के आतंकियों को निशाना बनाकर की गई थी,
जो इज़रायली सैनिकों के लिए तत्काल खतरा बने हुए थे। वहीं अल-शिफा अस्पताल के निदेशक मोहम्मद अबू सलमिया ने बताया कि बुधवार शाम से अब तक 30 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।
अमेरिकी सैनिक करेंगे युद्धविराम की निगरानी
AFP के मुताबिक, अमेरिका करीब 200 सैनिकों को गाजा में तैनात करेगा।
उनका मुख्य कार्य सीजफायर की निगरानी करना और बंधकों की रिहाई प्रक्रिया में सहयोग देना होगा।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह सैनिक किसी भी युद्ध अभियान का हिस्सा नहीं होंगे, बल्कि संयुक्त पर्यवेक्षण मिशन के रूप में काम करेंगे।
ट्रंप का “ऐतिहासिक” सीजफायर ऐलान
हमले से कुछ घंटे पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान घोषणा की कि इज़रायल और हमास युद्धविराम के पहले चरण पर सहमत हो गए हैं।
ट्रंप ने कहा- जैसे ही इज़रायली सरकार मंजूरी देगी, युद्ध तुरंत समाप्त हो जाएगा। आने वाले एक या दो दिनों में सभी बंधकों की रिहाई की उम्मीद है।
उन्होंने इस समझौते को ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि यह उनके 20-सूत्रीय पीस प्लान का पहला चरण है।
इस योजना के तहत हमास सभी बंधकों को रिहा करेगा, जबकि इज़रायल अपनी सेना को सहमति वाली सीमाओं तक पीछे हटाएगा।
शांति की उम्मीद या नया मोड़?
ट्रंप की शांति योजना को लेकर दुनिया भर में उम्मीदें और आशंकाएं दोनों हैं।
कई विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह समझौता सही ढंग से लागू हो गया, तो गाजा में लंबे समय से चल रहा संघर्ष कम हो सकता है।
वहीं कुछ विशेषज्ञ इसे राजनीतिक लाभ का कदम भी बता रहे हैं।