Israel Attacks Syria: इजरायल द्वारा सीरिया में किए जा रहे लगातार हवाई हमलों के बीच सीरिया के कार्यकारी राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए एक सख्त संदेश दिया है। उन्होंने विशेष रूप से ड्रूज समुदाय के प्रति इजरायल की नीति पर नाराज़गी जताई।
स्पष्ट किया कि उनके समुदाय के साथ दुर्व्यवहार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह बयान उस वक्त आया है जब दमिश्क स्थित सीरियाई सेना के मुख्यालय के एंट्री गेट पर हमला हुआ और दक्षिणी सीरिया में ड्रूज नागरिकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं।
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Israel Attacks Syria: इजरायल कर रहा तोड़ने की कोशिश
अहमद अल-शरा ने ड्रूज नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा, “इजरायल हमारे समाज को तोड़ने की हरसंभव कोशिश कर रहा है, लेकिन सीरिया एकजुट है और यहां सामाजिक ढांचे को तोड़ पाना किसी भी विदेशी ताकत के लिए आसान नहीं है।
हम उन लोगों में से नहीं हैं जो युद्ध से डरते हैं। हमारा इतिहास संघर्ष और बलिदान से भरा है। अगर हमारे नागरिकों की गरिमा को खतरा हुआ तो हम लड़ने के लिए तैयार हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि ड्रूज बहुल इलाकों की सुरक्षा अब स्थानीय बुजुर्गों और गुटों को सौंपी जा रही है ताकि वहां शांति और सामाजिक व्यवस्था बनी रहे।
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब सीरिया के दक्षिणी प्रांत सुवैदा में ड्रूज लड़ाकों और अंतरिम सरकार के बलों के बीच झड़पें जारी हैं और हालात लगातार अस्थिर होते जा रहे हैं।
सीरिया की जमीन बने अखाड़ा
सीरियाई राष्ट्रपति ने यह भी आरोप लगाया कि इजरायली सेना ने न केवल नागरिकों, बल्कि सरकारी इमारतों और रणनीतिक सुविधाओं को भी निशाना बनाया है, जिससे व्यापक तबाही मची है।
हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि अमेरिका, तुर्किए और कुछ अरब देशों की मध्यस्थता की वजह से इलाके में हालात और अधिक बिगड़ने से बचे हैं।
इजरायल की मंशा पर सवाल उठाते हुए अहमद अल-शरा ने कहा, “इजरायल चाहता है कि सीरिया की जमीन अराजकता के अखाड़े में तब्दील हो जाए, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।
हम इस धरती के बेटे हैं और अपनी मातृभूमि की रक्षा करना जानते हैं। ड्रूज समुदाय के खिलाफ अपराध करने वालों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाएगा।”
इजरायल ने किया था सीरिया पर हमला
इस बीच सीरिया के सुवैदा शहर में अंतरिम अधिकारियों और ड्रूज नेताओं के बीच युद्धविराम समझौता हुआ है, जिसके तहत सीरियाई सेना को कुछ हिस्सों से पीछे हटने का आदेश दिया गया है।
यह फैसला क्षेत्र में शांति बहाल करने के प्रयासों के तहत लिया गया है। लेकिन स्थिति तब और गंभीर हो गई जब 15 जुलाई 2025 को इजरायल ने सुवैदा और उसके आसपास सीरियाई सेना के काफिलों पर हवाई हमला किया।
इन हमलों में कई सैनिक मारे गए और दर्जनों घायल हुए। इसके जवाब में ड्रूज सशस्त्र समूहों, बेडौइन जनजातियों और सीरियाई अंतरिम सरकार की सेनाओं के बीच झड़पें और भड़क गईं।
सीरियाई सेना कर रही कार्रवाई
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इन हमलों को उचित ठहराते हुए कहा कि सीरियाई सेना ड्रूज समुदाय के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की योजना बना रही थी, इसलिए इन ठिकानों को पहले ही नष्ट करना जरूरी था।
नेतन्याहू ने दावा किया कि ये हमले ‘रक्षात्मक कार्रवाई’ के तहत किए गए। वहीं सीरिया सरकार ने इन हमलों की तीखी निंदा की है और कहा कि इजरायली कार्रवाई में केवल सैन्य कर्मी ही नहीं, बल्कि आम नागरिक भी मारे गए हैं।
सीरियाई विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि इजरायल अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर रहा है और सीरिया की संप्रभुता पर हमला कर रहा है।
50 ड्रूज नागरिकों ने किया प्रवेश
इस बीच इजरायल के कब्जे वाले गोलान हाइट्स से करीब 50 ड्रूज नागरिकों के दक्षिणी सीरिया में प्रवेश करने की खबर सामने आई है। ये लोग अपने समुदाय के समर्थन में सीमा पार कर आए हैं।
यह घटना तब घटी जब लेबनान स्थित ड्रूज नेताओं ने सोशल मीडिया पर सीरिया के ड्रूजों को समर्थन देने की सार्वजनिक अपील की थी। हालात को देखते हुए यह स्पष्ट हो गया है कि इजरायल और सीरिया के बीच जारी संघर्ष अब केवल दो देशों के बीच की लड़ाई नहीं रह गई है,
बल्कि इसमें धार्मिक और जातीय समीकरण भी गहराते जा रहे हैं। ड्रूज समुदाय, जो पारंपरिक रूप से सीरिया, लेबनान और इजरायल के बीच फैला हुआ है, अब संघर्ष का नया केंद्र बनता दिख रहा है।