Indo-Pak War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताज़ा बयान ने भारत की सियासत में हलचल मचा दी है। उन्होंने दावा किया है कि “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान पांच लड़ाकू विमान मार गिराए गए थे,
लेकिन यह नहीं बताया कि ये विमान किस देश के थे। ट्रंप के इस बयान ने मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला खड़ा किया है।
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Indo-Pak War: ट्रंप का राफेल मारने का दावा झूठा
इस मुद्दे पर पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी विदेश नीति विश्लेषक डॉ. मुक्तेदार खान ने अहम बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान का यह दावा कि उसने भारत के पांच राफेल विमान गिराए हैं,
पूरी तरह से झूठा है। उन्होंने कहा कि भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में पहले ही कह दिया था कि पाकिस्तान का यह दावा तथ्यहीन है। डॉ. खान के अनुसार, हो सकता है भारत को एक राफेल और दो अन्य फाइटर जेट्स का नुकसान हुआ हो, लेकिन पांच राफेल मार गिराने की बात महज दुष्प्रचार है।
अमेरिका ने भारत-पाक से की अलग बात
सीजफायर को लेकर ट्रंप की मध्यस्थता की बात पर भी डॉ. खान ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान दोनों से अलग-अलग बात की थी। भारत ने अमेरिका से स्पष्ट कहा था कि अगर पाकिस्तान रुकता है तो भारत भी रुक जाएगा।
इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान से संपर्क किया और जब पाकिस्तान ने हामी भरी, तब सीजफायर लागू किया गया। डॉ. खान के मुताबिक यह भले ही तकनीकी रूप से मध्यस्थता न लगे, लेकिन राजनीतिक रूप से यह उसी का एक रूप है।
ट्रंप भारत से नाराज
ट्रंप भारत से इसीलिए नाराज़ हों क्योंकि भारत ने उनके मध्यस्थता के दावे को बार-बार खारिज किया है। ट्रंप पहले भी कश्मीर मुद्दे पर खुद को शामिल करने की कोशिश कर चुके हैं, जैसा कि 2017 में भी हुआ था।
यहां तक कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय भी अमेरिका ने कश्मीर पर विशेष दूत नियुक्त किया था, लेकिन भारत के विरोध के बाद वह कदम वापिस लेना पड़ा।
ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार
डॉ. मुक्तेदार खान ने यह भी कहा कि भारत के सामने एक रणनीतिक विकल्प यह हो सकता है कि वह डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए समर्थन दे। उन्होंने बताया कि इज़रायल और पाकिस्तान पहले ही ट्रंप को नॉमिनेट कर चुके हैं।
यदि भारत भी ऐसा करता है, तो इससे अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों में लाभ मिल सकता है, खासकर ट्रंप की ट्रेड नीति को देखते हुए। ब्याज दरों में 4-5 प्रतिशत तक की रियायत की संभावना जताई जा रही है।