भारत अब समुद्र के गहराई में इतिहास रचने की तैयारी कर रहा है। चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 की सफलताओं के बाद, मिशन समुद्रयान के तहत स्वदेशी पनडुब्बी मत्स्य-6000 का अक्टूबर में वेट टेस्ट होगा। यह परीक्षण समुद्र तल से लगभग 6000 मीटर नीचे के रहस्यों का पता लगाने के लिए किया जाएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइओटी) ने इसकी पुष्टि की है। डॉ. एम. रविचंद्रन ने बताया कि पनडुब्बी के सभी घटकों का सफल एकीकरण किया गया है, और अब अंतिम उपकरणों का इंतजार किया जा रहा है।
लागत और उद्देश्य
समुद्रयान मिशन का मुख्य उद्देश्य समुद्र की गहराई में दुर्लभ खनिजों का खनन करना है। परियोजना की कुल लागत लगभग 4100 करोड़ रुपए है, जिसमें गैस हाइड्रेट्स, पॉलिमैटेलिक मैन्गनीज नॉड्यूल, और अन्य संसाधनों की खोज शामिल है। यह पनडुब्बी जलवायु परिवर्तन से संबंधित समुद्री परिवर्तनों की निगरानी भी कर सकेगी।
वेट टेस्ट प्रक्रिया
वेट टेस्ट के दौरान, पनडुब्बी को चेन्नई बंदरगाह पर 15 मीटर गहराई में उतारा जाएगा। इस परीक्षण में पनडुब्बी की दबाव सहन करने की क्षमता, गति और संचार क्षमताओं का आकलन किया जाएगा। परीक्षण के परिणामों के आधार पर आवश्यक सुधार किए जाएंगे, और इस मिशन को 2026 में पूरा करने की योजना है।
नामकरण और विशेषताएं
यह पूरी तरह से स्वदेशी परियोजना है और पनडुब्बी का नाम भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार पर रखा गया है। मत्स्य-6000 6000 मीटर की गहराई पर समुद्री दबाव से 600 गुना अधिक दबाव सहन कर सकती है। इसकी क्षमता तीन लोगों को 12 घंटे तक गहराई में रखने की है, और इसके अंदर 96 घंटे की आपातकालीन स्थिति में रहने की क्षमता भी है।
पनडुब्बी की विशेषताएँ
- उन्नत जीवन समर्थन प्रणाली
- नेविगेशन उपकरण
- नमूना संग्रह के लिए रोबोटिक भुजाएं
- उच्च-रिजॉल्यूशन इमेजिंग सिस्टम
यह मिशन भारत को उन देशों की सूची में शामिल करेगा जिनके पास यह अत्याधुनिक तकनीक है।