India: भारत अब अपनी सुरक्षा ताकत को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी में है। इसी दिशा में देश ने पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ लड़ाकू विमान अपने यहां ही बनाने का बड़ा फैसला किया है। इस अत्याधुनिक विमान का नाम एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी एएमसीए (AMCA) रखा गया है।
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India: राजनाथ ने दी मंजूरी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मिशन को मंजूरी दे दी है, जो आने वाले समय में भारत की वायुसेना को एक नई धार देने वाला साबित हो सकता है। एएमसीए में कई अत्याधुनिक खूबियां होंगी जो अब तक भारत के किसी भी लड़ाकू विमान में नहीं देखी गई हैं।
यह विमान सुपरसोनिक स्पीड से उड़ सकेगा, यानी बहुत तेज रफ्तार से आसमान में दुश्मन के पीछे जा सकेगा। इसमें स्टेल्थ तकनीक होगी, जिससे यह राडार की पकड़ में नहीं आएगा।
इसके साथ ही इसमें उन्नत एवियोनिक्स होंगे जो पायलट को दुश्मन की हर हरकत की सटीक जानकारी देंगे और युद्ध के दौरान बेहतर फैसले लेने में मदद करेंगे।
देश की निजी रक्षा कंपनियां होगी शामिल
इस पूरे प्रोजेक्ट को भारत की दो प्रमुख संस्थाएं, डीआरडीओ और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी मिलकर तैयार करेंगी। इस बार खास बात यह है कि इस मिशन में पहली बार देश की निजी रक्षा कंपनियों को भी शामिल किया जाएगा।
ये कंपनियां अकेले, साझेदारी या समूह के रूप में इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बन सकेंगी।
इसके लिए जल्द ही सरकार ईओआई यानी रुचि की अभिव्यक्ति जारी करेगी ताकि योग्य कंपनियों को मौका दिया जा सके। इस प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत लगभग 15 हजार करोड़ रुपये तय की गई है। उम्मीद है कि एएमसीए का पहला ट्रायल 2028 तक हो जाएगा और वायुसेना को पहला विमान 2032 तक मिल सकेगा।
पायलट को दिखेगा युद्ध मैदान
अब सवाल आता है कि पांचवीं पीढ़ी का विमान क्या होता है। असल में हर नई पीढ़ी के विमान पिछली से ज्यादा उन्नत तकनीक से लैस होते हैं।
पहले के विमानों में बेसिक इंजन और सीधी-सादी संरचना होती थी। धीरे-धीरे इनमें राडार सिस्टम, आधुनिक पंख, तेज इंजन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर जैसी क्षमताएं जुड़ती गईं।
पांचवीं पीढ़ी के विमानों में सबसे अहम होता है स्टेल्थ फीचर, यानि ये राडार में दिखाई नहीं देते। साथ ही इनमें ऐसा सिस्टम होता है जो पायलट को उसके सामने स्क्रीन पर ही पूरे युद्ध क्षेत्र की स्थिति दिखाता है, जिससे निर्णय लेना आसान हो जाता है।
दुनिया का पहला पांचवीं पीढ़ी का फाइटर अमेरिका ने 2005 में पेश किया था, जिसका नाम था एफ-22 रैप्टर। इसके बाद अमेरिका ने एफ-35 बनाया, रूस ने सुखोई एसयू-57 और चीन ने जे-20 बनाया। अब भारत भी इस श्रेणी में कदम रखने जा रहा है।
इतना ही नहीं, अमेरिका और चीन अब छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर भी काम कर रहे हैं। चीन का जे-36 और अमेरिका का एफ-47 फिलहाल परीक्षण के दौर में हैं।
एएमसीए के आने से भारत सिर्फ एक ताकतवर लड़ाकू विमान नहीं बनाएगा, बल्कि तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी एक बड़ा कदम उठाएगा।
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