Rajasthan Assembly by-election: राजस्थान में 7 सीटों पर होने जा रहे उप चुनाव में नामांकन का आज शुक्रवार (25 अक्टूबर, 2024) को आखिरी दिन है। दोपहर तीन बजे तक उम्मीदवार अपना पर्चा दाखिल कर सकेंगे। गुरुवार को 26 प्रत्याशियों ने 30 नामांकन दाखिल किए। वहीं अब तक 37 प्रत्याशी 41 नामांकन भर चुके। इधर, कांग्रेस की ओर से सभी 7 सीटों पर प्रत्याशियों के ऐलान के साथ ही 3 सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष नजर आने लगा है। इनमें खींवसर, सलूंबर और चौरासी विधानसभा सीट शामिल है।
वर्तमान हालातों को देखते हुए 3 सीट भाजपा-कांग्रेस के लिए फंस चुकी है। वहीं अन्य 4 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर तय है। दरअसल, भारत आदिवासी पार्टी ने सलूंबर और चौरासी सीट पर अपने प्रत्याशी उतार कांग्रेस-भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल अपनी परंपरागत सीट खींवसर में इस बार पत्नी कनिका बेनीवाल को चुनावी मैदान में उतार रहे है।
दौसा-झुंझुनू में भाजपा-कांग्रेस मुकाबले में
कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे व वर्तमान में शिवसेना शिंदे गुट में शामिल राजेंद्र गुढ़ा ने भी झुंझुनूं से अपनी पत्नी निशा कंवर को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल करवाया है। दौसा में भाजपा ने कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने दीनदयाल बैरवा को मैदान में उतारा है। ओला परिवार की परंपरागत सीट झुंझुनू से कांग्रेस ने एक बार फिर परिवारवाद का कार्ड खेला है। विधायक से सांसद बने बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा ने राजेंद्र भांबू पर भरोसा जताया है। ऐसे में दौसा-झुंझुनू में भाजपा-कांग्रेस सीधी टक्कर के आसार हैं।
देवली-उनियारा में होगी कांटे की टक्कर
टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट से 2023 में विधायक बने कांग्रेस के हरिशचंद्र मीना ने सांसद का चुनाव लड़ा और जीते हैं। अब उप चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर नए चेहरे के रूप में केसी मीना पर दांव खेला है। जबकि भाजपा ने राजेंद्र गुर्जर को मैदान में उतारा है। गुर्जर और मीना बहुल इस सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर होगी।
बेनीवाल मुकाबला बनाएंगे त्रिकोणीय
नागौर जिले की खींवसर हनुमान बेनीवाल की परंपरागत सीट है। वर्ष 2023 के चुनाव में मामूली अंतर से जीते हनुमान बेनीवाल सांसद बने तो यह सीट खाली हुई। अब भाजपा ने हनुमान बेनीवाल को 2023 के चुनाव में कड़ी चुनौती देने वाले रेवंतराम डांगा को उतारा है। जबकि कांग्रेस ने सवाई सिंह चौधरी की पत्नी रतन चौधरी को टिकट देकर मुकाबला रोचक बना दिया है। सवाई सिंह खुद भी 2018 में कांग्रेस के टिकट पर हमुमान बेनीवाल के सामने चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं, हनुमान बेनीवाल ने अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को मैदान में उतारा है।
रोत ने चौरासी और सलूंबर में किया खेला
डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के राजकुमार रोत की परंपरागत सीट है। वे पहले बीटीपी से और 2023 में भारत आदिवासी पार्टी से विधायक बने। उनके सांसद बनने के बाद ‘बाप’ ने अनिल कटारा को प्रत्याशी बनाया है। वे अभी जिला परिषद सदस्य हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर युवा प्रत्याशी महेश रोत को मौका दिया है। जबकि भाजपा ने कारीलाल ननोमा को मैदान में उतारा है, वह सीमलवाड़ा पंचायत समिति से प्रधान हैं। इसी तरह सलूंबर के भाजपा विधायक अमृतलाल मीणा के निधन से खाली हुई इस सीट पर भाजपा ने सहानुभूति कार्ड खेलते हुए अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर रेशमा मीणा को टिकट दिया है। भारत आदिवासी पार्टी के जितेश कटारा भी मैदान में हैं। उन्हें 2023 के विधानसभा चुनाव में करीब 50 हजार वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
रामगढ़ में आमने-सामने की लड़ाई
मौजूदा विधायक कांग्रेस के जुबैर खान के निधन के कारण यह सीट खाली हुई है। इस सीट पर कांग्रेस ने सहानुभूति का कार्ड खेला है और जुबैर खान के बेटे आर्यन खान को टिकट दिया है। जबकि भाजपा ने सुखवंत सिंह को मैदान में उतारा है। सुखवंत सिंह 2018 में भाजपा के टिकट पर और 2023 में टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर आजाद समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था।