Friday, July 25, 2025

17 हजार वर्गफीट की दरगाह को तोड़ने से रोक पर हाईकोर्ट का इनकार, कहा- भीड़ से कब्जा वैध नहीं होता

बॉम्बे हाईकोर्ट का साफ फैसला: भीड़ से वैधता नहीं मिलती

महाराष्ट्र के ठाणे में बनी गाज़ी सलाउद्दीन रेहमतुल्ला होल दरगाह पर कब्जे को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दरगाह को गिराने पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि महज लोगों की भीड़ या धार्मिक गतिविधियाँ किसी अवैध निर्माण को कानूनी दर्जा नहीं दिला सकतीं।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पहले यह दरगाह केवल 160 वर्गफीट में थी, लेकिन अब यह 17,610 स्क्वायर फीट तक फैल चुकी है। इसे सार्वजनिक या धार्मिक स्थल बताकर कब्जे को वैध नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने इसे ज़मीन हड़पने का ‘क्लासिक केस’ बताया।

कोर्ट ने खारिज की दरगाह ट्रस्ट की याचिका

दरगाह ट्रस्ट की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि न तो ट्रस्ट ने इस ज़मीन को खरीदा और न ही कोई निर्माण अनुमति ली। कोर्ट ने कहा कि महज चैरिटी कमिश्नर द्वारा सार्वजनिक सूचना जारी करना मालिकाना हक का सबूत नहीं हो सकता।

हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिस ज़मीन पर दरगाह बनी है, वह एक निजी व्यक्ति की है और ठाणे के सिविल कोर्ट ने 5 अप्रैल 2025 को ट्रस्ट द्वारा किए गए अतिक्रमण को अवैध करार दिया है। ट्रस्ट का न तो स्वामित्व है और न ही कब्जे का कोई वैध अधिकार।

याचिकाकर्ता ने नहीं दिए पुख्ता दस्तावेज

कोर्ट ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने अपनी दावेदारी को साबित करने के लिए कोई ठोस दस्तावेज या वैध प्रमाण पेश नहीं किए।

इतना ही नहीं, जब नगर निगम ने नोटिस जारी किया तो उसका कोई ठोस जवाब भी ट्रस्ट की ओर से नहीं दिया गया और वे सुनवाई में भी भाग नहीं ले पाए।

अंत में बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रस्ट की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह दरगाह अवैध है और इसका कोई कानूनी अस्तित्व नहीं है। अदालत ने ठाणे नगर निगम को तोड़फोड़ की कार्रवाई जारी रखने की अनुमति दे दी।

धार्मिक स्थल बताकर अवैध कब्जे को वैध नहीं बना सकते

कोर्ट ने कहा कि कोई भी संस्था निजी या सार्वजनिक भूमि पर कब्जा कर निर्माण नहीं कर सकती और फिर उसे मजहबी स्थल बताकर उसे संरक्षण नहीं दिला सकती। हाईकोर्ट ने यह रेखांकित किया कि कानून से ऊपर कोई धार्मिक पहचान नहीं हो सकती।

दरगाह ट्रस्ट ने यह तर्क भी दिया था कि यह स्थल 1982 से पहले से मौजूद है और एक धार्मिक केंद्र है, लेकिन उनकी यह दलील भी अदालत में नहीं टिक सकी। कोर्ट ने इसे पर्याप्त नहीं माना और दरगाह को अवैध घोषित करते हुए विध्वंस की कार्रवाई को जायज ठहराया।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला ठाणे जिले की एक दरगाह से जुड़ा है, जिसे पहले सिर्फ 160 वर्गफीट क्षेत्र में बताया गया था। परंतु समय के साथ इसका क्षेत्रफल बढ़ते हुए 17,610 वर्गफीट हो गया।

जो कि पूरी तरह बिना अनुमति के था। ठाणे नगर निगम ने इसे अवैध करार देते हुए गिराने का आदेश दिया।

इसके विरोध में ट्रस्ट ने मई 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट पहुँचा।

जहाँ से उन्हें दोबारा हाईकोर्ट में आवेदन की अनुमति मिली। लेकिन पुनः याचिका खारिज हो गई क्योंकि अवैध निर्माण के पक्ष में कोई सबूत नहीं था।

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest article