Brain Rot: आज कल बच्चों से लेकर बड़ों तक में फोन चलाने की आदत हद से ज्यादा बढ़ती ही जा रही है। बच्चे जो फोन में देखते है उसे ही अपनी असली दुनिया मान लेते है। ज्यादा फोन चलाने से बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता में कमी आती है। एक्सपर्ट का कहना है कि जब लोग जरूरत से ज्यादा ऑनलाइन रहने लगते हैं और सोशल मीडिया को असली दुनिया समझने लगते है और उनके बातचीत के दौरान इंटरनेट पर यूज किये जाने वाले शब्द जब ज्यादा इस्तेमाल करने लगते है तो उसे ब्रेन रोट कहते है।
Brain Rot कैसे पहुंचाता है नुकसान
एक्सपर्ट का कहना है कि ज्यादा फोन चलाने वालों के दिमाग में डिजिटल मीडिया इस तरह से हिट करता है की उनका ब्रेन पर कंट्रोल नहीं रह पाता है। वे कोई भी काम करते हुए हमेशा फोन चलाते रहते है या फिर इसकी वजह से उनके दिमाग की सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है। पढ़ाई और किसी भी काम में उनका मन नहीं लग पाता है।
Brain Rot में रियल की दुनिया से हो जाते है दूर
वेलनेस लैब के एक्सपर्ट ब्रेन रोट को एक तरह का विकार मानते हैं। इसमें यूजर्स बिना सोचे- समझे स्क्रॉल करने या लंबे समय तक गेमिंग सेशन्स के साथ इस कदर जुड़ जाते हैं कि मानो सुन्न हो गए है। इसको लेकर डॉक्टरों का कहना है कि लगातार इंटरनेट कंटेंट से जुड़े होने के चलते वे वास्तविक दुनिया से दूर हो जाते हैं। लैब में इलाज के लिए पहुंचा 19 साल का जोशुआ रोड्रिग्ज कहता है कि पहले वह पूरे समय फोन स्क्रॉल करते हुए वीडियो देखते रहते थे। वेलनेस लैब के एक्सपर्ट ब्रेन रोट को एक तरह का विकार मानते हैं। इसमें यूजर्स बिना सोचे- समझे स्क्रॉल करने या लंबे समय तक गेमिंग सेशन्स के साथ इस कदर जुड़ जाते हैं। जिसे अपनी असली दुनिया समझ लेते है।