हिंदू होने की सज़ा: पाकिस्तान एक बार फिर अपने चेहरे से नकाब हटाता दिखा है। जिस देश की बुनियाद ही धार्मिक नफरत पर रखी गई थी, वहां अल्पसंख्यकों की स्थिति आज भी इंसानियत को शर्मसार करती है।
सिंध प्रांत के कोटरी शहर में हिंदू बागरी समुदाय के युवक दौलत बागरी के साथ जो हुआ, उसने पूरे पाकिस्तान को झकझोर दिया है।
उसका गुनाह सिर्फ इतना था कि उसने एक ढाबे पर बैठकर खाना खा लिया था, और इसके बदले उसे रस्सियों से बांधकर बेरहमी से पीटा गया।
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‘यह हिंदू यहां कैसे खा सकता है?’ — इस सवाल ने कर दी ज़िंदगी तबाह
हिंदू होने की सज़ा: ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, दौलत बागरी दोपहर के वक्त सड़क किनारे एक ढाबे पर खाना खाने पहुंचा था। लेकिन वहां मौजूद होटल मालिक और कुछ स्थानीय लोगों ने उसकी मौजूदगी पर आपत्ति जताई।
उन्होंने दौलत से कहा, “यह हिंदू यहां कैसे खा सकता है?” और इसके बाद उसे पकड़कर हाथ-पैर बांध दिए और पीटना शुरू कर दिया।
हिंदू होने की सज़ा: हमलावरों ने सिर्फ पिटाई ही नहीं की, बल्कि उसके पास रखे 60 हजार रुपये भी लूट लिए।
दौलत बार-बार रहम की भीख मांगता रहा, लेकिन कट्टरपंथी दरिंदों ने उसकी एक न सुनी।
हिंदू होने की सज़ा: पिटाई का वीडियो वायरल, मगर पुलिस का दिल नहीं पसीजा
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें दौलत बंधा हुआ दिखाई देता है और कुछ लोग उसे पीट रहे हैं।
वीडियो सामने आने के बाद पाकिस्तान के कई नागरिकों ने नाराजगी जताई, मगर पुलिस की सुस्ती और मिलीभगत ने मामले को और ज्यादा शर्मनाक बना दिया।
हिंदू होने की सज़ा: कोटरी पुलिस ने जबरदस्त जनदबाव और वीडियो के वायरल होने के बाद 7 आरोपियों, फैयाज अली, अर्शद अली, मोइन अली, शफी मोहम्मद, नियाज, दर मोहम्मद और इकराम, के खिलाफ FIR दर्ज की। लेकिन रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
अदालत के दबाव के बाद दर्ज हुई FIR, प्रशासन की मिलीभगत उजागर
हिंदू होने की सज़ा: पीड़ित पक्ष ने पहले ही जमशोरो की जिला और सत्र अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें स्थानीय SSP और SHO पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया गया। अदालत के दखल के बाद ही पुलिस ने FIR दर्ज की।
इससे साफ है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में पुलिस खुद संरक्षक बन जाती है, और प्रशासन न्याय की बजाय अपराधियों के साथ खड़ा होता है।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का रोष, ‘यह धार्मिक रंगभेद है’
हिंदू होने की सज़ा: पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शर्मा ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह मामला साफ तौर पर “धार्मिक रंगभेद” का है और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “जब किसी देश में सिर्फ धार्मिक पहचान के कारण इंसान को पीटा जाता है, तो यह सभ्यता नहीं, बर्बरता है। पाकिस्तान को अब तय करना होगा कि वह मानवता के साथ है या नफरत के साथ।”
हिंदू होने की सज़ा: सिंध में बढ़ती नफरत की हिंसा, हिंदू और दलित लगातार निशाने पर
यह घटना कोई पहली नहीं है। सिंध और बलूचिस्तान जैसे प्रांतों में हिंदू, सिख और दलित समुदायों पर लगातार अत्याचार बढ़ रहे हैं। बागरी जैसे समुदाय सामाजिक बहिष्कार, जबरन धर्मांतरण और आर्थिक भेदभाव का सामना कर रहे हैं।
हिंदू होने की सज़ा: धर्म के नाम पर हिंसा पाकिस्तान में अब सामान्य हो चुकी है, मंदिर तोड़े जाते हैं, नाबालिग हिंदू लड़कियों का अपहरण कर जबरन निकाह कर दिया जाता है, और न्याय की उम्मीद करने वाले परिवारों को पुलिस से सिर्फ धमकियां मिलती हैं।
अल्पसंख्यकों के लिए नर्क बना पाकिस्तान
दौलत बागरी की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं है, यह उस देश की सच्चाई है जो खुद को “इस्लामी गणराज्य” कहता है लेकिन अपने ही संविधान की धज्जियां उड़ाता है।
हिंदू होने की सज़ा: पाकिस्तान के लिए हिंदू होना अब अपराध बन चुका है। धर्म के नाम पर चल रही यह क्रूरता बताती है कि वहां नफरत न केवल समाज में, बल्कि शासन की सोच में भी गहराई तक घुस चुकी है।