Friday, April 11, 2025

High Court News: राजस्थान में अब खाप पंचायतों पर लगेगी रोक, राजस्थान हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

High Court News: राजस्थान हाई कोर्ट ने सामाजिक बहिष्कार, नाता प्रथा और खाप पंचायतों जैसी सामाजिक बुराइयों पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। जस्टिस फरजंद अली की सिंगल बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 5 सदस्यीय आयोग का गठन किया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर इन कुप्रथाओं की जमीनी हकीकत की रिपोर्ट तैयार करेगा। आयोग में 4 वरिष्ठ अधिवक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवश्यक निर्देश जारी करेगा। आयोग को संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों से पूरा सहयोग मिलेगा।

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सामाजिक कुप्रथाएं रोकने की जरूरत बताई

गौरतलब है कि राजस्थान के पश्चिमी जिलों में खाप पंचायतों द्वारा सामाजिक बहिष्कार, अवैध जुर्माना, जबरन नाता प्रथा और अन्य सामाजिक कुप्रथाएं आम हो गई हैं। सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने की लंबे समय से मांग उठ रही थी। अदालत ने इन मामलों को सख्ती से रोकने के लिए एक ठोस कार्ययोजना बनाने की जरूरत बताई है। जानकारी के मुताबिक यह आयोग खाप पंचायतों के अवैध फरमान, सामाजिक बहिष्कार के मामले और नाता प्रथा जैसी कुप्रथाओं का विस्तृत अध्ययन कर पीड़ित परिवारों और प्रभावित लोगों से बातचीत करेगा।

आयोग हाई कोर्ट को सौंपेगा अपनी रिपोर्ट

हाई कोर्ट की ओर से गठित 5 सदस्यीय आयोग में 4 वरिष्ठ अधिवक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता को शामिल किया गया है। इसमें एडवोकेट रामावतार सिंह चौधरी, एडवोकेट भागीरथ राय बिश्नोई, एडवोकेट शोभा प्रभाकर, एडवोकेट देवकीनंदन व्यास और सामाजिक कार्यकर्ता महावीर कांकरिया को शामिल किया गया है। ये सभी सदस्य कोर्ट कमिश्नर के रूप में कार्य करेंगे और अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करेंगे। राजस्थान हाई कोर्ट के इस फैसले की चारों तरफ सराहना हो रही है।

प्रदेश के ये जिले सबसे ज्यादा प्रभावित 

हाई कोर्ट ने विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान के जिलों में सामाजिक बुराइयों के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। जोधपुर ग्रामीण, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, नागौर और पाली जैसे जिलों में खाप पंचायतों के तानाशाही फरमानों की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। बता दें, इन जिलों के गांवों में आयोग का दौरा होगा। वहीं, पुलिस स्टेशनों का निरीक्षण कर मामलों की समीक्षा की जाएगी। गांवों के सरपंच, ग्राम सेवक और ब्लॉक विकास अधिकारियों से भी चर्चा होगी।

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