Hezbollah Israel War Ceasefire: इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच हुआ सीज़फायर समझौता लंबे समय से चल रहे संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस समझौते के तहत इजरायल को 60 दिनों के भीतर लेबनान से अपनी सेना वापस बुलानी होगी, और लेबनान के दक्षिणी हिस्से में हिज़बुल्लाह की जगह लेबनानी सेना तैनात की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य हिज़बुल्लाह को अपनी सैन्य ताकत दोबारा मजबूत करने से रोकना है।
Hezbollah Israel War Ceasefire: इजरायल ने किये 20 से ज्यादा हमले
इस बीच, हमास ने इजरायल से 100 बंधकों के बदले 1,000 कैदियों की रिहाई की मांग की है। हालांकि, इजरायल के दक्षिणपंथी मंत्री इतामार बेन गवीर ने कहा है कि सरकार बंधकों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन हत्या जैसे गंभीर अपराधों में शामिल कैदियों की रिहाई स्वीकार्य नहीं है। सीज़फायर से पहले हुई हिंसा ने इस समझौते के माहौल को और जटिल बना दिया। इजरायल ने हिज़बुल्लाह पर महज दो मिनट में 20 से ज्यादा हमले किए, जिसमें 42 लोगों की मौत हुई। इस घटना ने सीज़फायर के लिए दबाव तो बढ़ाया, लेकिन क्षेत्रीय तनाव कम नहीं हुआ।
लेबनानी सेना हिज़बुल्लाह की गतिविधियों पर करेगी नियंत्रण
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने घोषणा की है कि सीज़फायर के बाद अब इजरायल का ध्यान ईरान पर होगा। यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकता है, क्योंकि इजरायल और ईरान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंध हैं, विशेषकर परमाणु कार्यक्रम को लेकर। यह समझौता शांति की ओर एक प्रयास जरूर है, लेकिन इसकी सफलता इस पर निर्भर करती है कि लेबनानी सेना हिज़बुल्लाह की गतिविधियों पर कैसे नियंत्रण करती है। साथ ही हमास की मांगों और इजरायल की रणनीतिक प्राथमिकताओं से क्षेत्रीय राजनीति में नए मोड़ आ सकते हैं।