34 वर्षों से मठ में रह रही महादेवी को जबरन वंतारा भेजे जाने पर नाराज कोल्हापुरवासी
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जैन मठ में निवास कर रही हथिनी महादेवी को गुजरात के वाइल्डलाइफ रिहैबिलिटेशन सेंटर वंतारा में स्थानांतरित करने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद जनआक्रोश की लहर फैल गई। यह हथिनी मठ में पिछले 34 वर्षों से थी और लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई थी।
राजू शेट्टी के नेतृत्व में शुरू हुई ऐतिहासिक 45 किलोमीटर लंबी मौन पदयात्रा
हातकणंगले के पूर्व सांसद व स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख राजू शेट्टी के नेतृत्व में रविवार को नांदणी मठ से कोल्हापुर जिला कलेक्ट्रेट तक 45 किलोमीटर लंबी मौन पदयात्रा निकाली गई। पदयात्रा सुबह 5 बजे शुरू होकर शाम 5:45 बजे समाप्त हुई।
जैन समुदाय, साधु-संत और हज़ारों नागरिक हुए आंदोलन में शामिल
पदयात्रा में महिलाओं, युवाओं, जैन समाज, साधु-संतों और बड़ी संख्या में आम नागरिकों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने ‘माधुरी लौटाओ’ और ‘जियो बॉयकॉट’ वाली टोपियाँ पहन रखी थीं और हथिनी की मूर्तियों व बैनरों के साथ श्रद्धा प्रकट की।
जैन मठ का दावा: आध्यात्मिक प्रतीक थी महादेवी, हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्था की याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 16 जुलाई 2025 को खारिज कर दिया।
याचिका में कहा गया था कि महादेवी को मठ में ही रहने दिया जाए, क्योंकि वह आध्यात्मिक व सांस्कृतिक महत्व रखती है।
PETA और विशेषज्ञों की रिपोर्ट: गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थी महादेवी
PETA की याचिका के समर्थन में विशेषज्ञों की रिपोर्ट में बताया गया कि हथिनी को एकांत में रखा गया था, वह मानसिक तनाव में थी, उसके पैरों में सड़न, अल्सर और नाखून बढ़े हुए थे। इसी आधार पर अदालत ने वंतारा स्थानांतरण को वैध ठहराया।
हाई कोर्ट ने मठ के प्रमाणपत्रों को अपर्याप्त माना, फोटो साक्ष्य और रिपोर्ट्स नहीं थीं शामिल
जैन मठ की ओर से प्रस्तुत एक पृष्ठ के प्रमाणपत्रों में न तो चिकित्सकीय राय थी, न ही फोटो सबूत। कोर्ट ने उन्हें सतही बताते हुए खारिज कर दिया और वन्यजीवों के संरक्षण की दृष्टि से हथिनी को वंतारा भेजने को आवश्यक ठहराया।
राजू शेट्टी का आरोप: पेटा-अंबानी गठजोड़ के तहत हथिनी को हड़पने की साजिश
राजू शेट्टी ने कहा कि यह एक साजिश है जिसमें पेटा मंदिरों के हाथियों को छीनकर अंबानी के प्रोजेक्ट वंतारा में शामिल कर रहा है। उन्होंने इसे ‘धार्मिक संपदा की लूट’ कहा और अमेरिका में पेटा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की बात कही।
शेट्टी बोले: महादेवी की आंखों में आंसू थे, सुंदरता के कारण उसे जबरन ले जाया गया
राजू शेट्टी ने दावा किया कि वंतारा में पहले से 200 से अधिक हाथी हैं, लेकिन महादेवी को इसलिए चुना गया क्योंकि वह ‘अत्यंत सुंदर’ है। उन्होंने कहा कि जब उसे मठ से ले जाया गया तब वह रो रही थी और पूरे कोल्हापुर की भावना उसके साथ थी।
हस्ताक्षर अभियान में जुटे दो लाख नागरिक, मुख्यमंत्री ने बुलाई आपात बैठक
हथिनी की वापसी को लेकर दो लाख से अधिक नागरिकों ने हस्ताक्षर किए हैं। जनभावनाओं को देखते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई में एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है जिसमें महादेवी मामले पर चर्चा होगी।
ट्रैफिक जाम और वैकल्पिक मार्गों के बावजूद जनता की भागीदारी में कमी नहीं
सांगली-कोल्हापुर रोड, शिरोली फाटा, तारारानी चौक, स्टेशन रोड जैसे इलाकों में भारी ट्रैफिक जाम रहा। पुलिस द्वारा ट्रैफिक डायवर्ट किए जाने के बावजूद रुईकर कॉलोनी और अन्य स्थानों पर गाड़ियों की लंबी कतारें देखने को मिलीं।
सांसदों-विधायकों से लेकर साधु-संत तक पहुंचे प्रदर्शन में समर्थन देने
पदयात्रा में सांसद विशाल पाटिल, विधायक विश्वजीत कदम, विधायक राहुल आवडे, पूर्व विधायक प्रकाश आवडे, संजय पाटिल, धैर्यशील माने समेत दर्जनों जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। संतों में लक्ष्मीसेन भट्टारक महाराज, भगवानगिरि महाराज, चारुकीर्ति स्वामीजी सहित अनेक संत उपस्थित रहे।
राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग, केंद्र सरकार को लिखा गया पत्र
राजू शेट्टी ने घोषणा की कि वे राष्ट्रपति से भेंट कर हथिनी महादेवी की वापसी के लिए हस्तक्षेप की मांग करेंगे। भाजपा सांसद धनंजय महादिक ने भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर महादेवी की वापसी की मांग की है।
वंतारा से समाधान के संकेत, राज्य मंत्री ने दिया सहयोग का भरोसा
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर ने बयान जारी करते हुए कहा कि वंतारा के अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और समाधान निकालने में पूरा सहयोग देने को तैयार हैं। उम्मीद की जा रही है कि जल्द कोई रास्ता निकलेगा।
धार्मिक भावना बनाम पशु अधिकार की टकराहट बना मुद्दे का मूल
यह मामला अब केवल एक हथिनी का नहीं रह गया, बल्कि यह धार्मिक आस्था और पशु कल्याण के बीच संवेदनशील टकराव बन चुका है।
मठ और स्थानीय नागरिकों के अनुसार महादेवी केवल एक पशु नहीं बल्कि जीवित प्रतीक थी, जबकि PETA और कोर्ट की नजर में वह एक बीमार पशु थी जिसे संरक्षण की आवश्यकता थी।
मीडिया की भूमिका और जियो बॉयकॉट अभियान का बढ़ता स्वर
प्रदर्शनकारियों द्वारा रिलायंस समूह के ‘जियो बॉयकॉट’ की मांग करते हुए टोपियाँ पहनी गईं और सोशल मीडिया पर भी इसके पक्ष में मुहिम तेज हो गई है। कोल्हापुर से लेकर सोशल प्लेटफॉर्म्स तक अब यह आंदोलन राष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है।
निष्कर्ष: पशु संरक्षण बनाम सांस्कृतिक विरासत, हल क्या होगा?
यह स्पष्ट है कि यह मामला एक व्यापक जनांदोलन में बदल चुका है। एक ओर न्यायालय का आदेश और विशेषज्ञ रिपोर्टें हैं, तो दूसरी ओर आस्था और परंपरा की भावना।
अब देखना यह है कि क्या सरकार इस टकराव का कोई संतुलित समाधान निकाल पाएगी।