Harvard University: अमेरिका की सबसे अमीर और सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी हार्वर्ड पहले ही ट्रंप प्रशासन के निशाने पर रही है। यूनिवर्सिटी ने जब सरकारी दखल से इनकार किया, तो मार्च-अप्रैल में 2.2 बिलियन डॉलर और मई में 450 मिलियन डॉलर की ग्रांट काट ली गई।
वहीं एक बार फिर से ट्रंप ने इमिग्रेशन नियमों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में बाहरी छात्रों के एडमिशन पर रोक लगा दी है।
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Harvard University: हार्वर्ड में 788 भारतीय छात्र
ट्रंप प्रशासन ने होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम के माध्यम से आदेश जारी करते हुए हार्वर्ड का स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम प्रमाण-पत्र समाप्त कर दिया। इसके चलते हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकेगा।
पहले से पढ़ रहे छात्रों को या तो दूसरी यूनिवर्सिटी में स्थानांतरित होना होगा या वे अमेरिका में कानूनी दर्जा खो बैठेंगे। बता दें कि अभी हार्वर्ड में 788 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे है और अब उनके भविष्य पर भी खतरा मंडराने लगा है।
क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड पर गंभीर आरोप लगाये
क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह संस्था अब हिंसा, यहूदी-विरोध और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभाव का अड्डा बन चुकी है। उन्होंने पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि हार्वर्ड अमेरिकी इमिग्रेशन कानूनों का पालन नहीं करता तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
140 से अधिक देशों के अंतरराष्ट्रीय छात्र
दूसरी ओर हार्वर्ड ने इस फैसले को पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध बताया है और इसे गैरकानूनी करार देते हुए कहा कि यह निर्णय उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगा। यूनिवर्सिटी ने दोहराया कि वह 140 से अधिक देशों के अंतरराष्ट्रीय छात्रों और विद्वानों की मेजबानी जारी रखेगी।