Monday, October 13, 2025

हमास इसराइल समझौता : ट्रम्प के ‘पीस प्लान’ के बाद हमास ने छोड़े बीस यहूदी कैदी

हमास इसराइल समझौता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ‘पीस प्लान’ को मानते हुए हमास ने दो साल से अधिक समय से बंद रखे बीस यहूदी पुरुषों को आज़ाद कर दिया।

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इन्हें इसराइल को सौंप दिया गया है। लेकिन इस सौदे की कीमत इंसानियत ने चुकाई। हमास आतंकियों ने कई यहूदी महिलाओं को पहले अपहरण कर बलात्कार के बाद हत्या कर दी।

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हमास इसराइल समझौता : ट्रम्प के ‘पीस प्लान’ के बाद हमास ने छोड़े बीस यहूदी कैदी 2

उनके अंग काटे गए और शव विकृत अवस्था में मिले। कुछ बच्चों और महिलाओं को पहले ही छोड़ दिया गया था, पर जिनकी जान ली गई, उनका हश्र मध्ययुगीन अत्याचारों से कम नहीं था।

जब इतिहास दोहराया गया: जौहर और साका की यादें ताज़ा

इन दृश्यों ने भारत के इतिहास के उन भयावह पन्नों को फिर जीवित कर दिया जब आक्रमणकारियों से लड़ते हुए राजपूताने की रानियों ने जौहर करना स्वीकार किया था पर दासता नहीं।

चित्तौड़ से लेकर रणथंभौर तक असंख्य महिलाओं ने अपनी इज़्ज़त की रक्षा के लिए अग्नि में प्रवेश किया। आज हमास की बर्बरता ने उसी आत्मबलिदान की स्मृति को झकझोर दिया है। फर्क बस इतना है कि उस दौर में स्त्रियाँ मृत्यु को चुनीं, और आज उन्हें मृत्यु दी गई।

इसराइल का जवाब: गाजा बना राख का मैदान

हमास की इस क्रूरता का जवाब इसराइल ने भी अभूतपूर्व सैन्य कार्रवाई से दिया। रिपोर्टों के अनुसार, इसराइल ने करीब सत्तर हज़ार गाजा निवासियों को ‘खुदागंज’ का टिकट पकड़ा दिया यानी उन्हें गाजा से निकाल दिया।

पौने तीन लाख लोग अस्पतालों में भर्ती हैं और गाजा का अधिकांश क्षेत्र अब समतल हो चुका है। इमारतें मलबे में बदल गईं, सड़कें धूल में मिल गईं, और एक पूरा इलाक़ा मानो नक्शे से मिटा दिया गया।

सौदे की कीमत: कैदी बदले कैदी, विनाश बदले विनाश

इसराइल ने बदले में ढाई सौ फ़िलिस्तीनी अपराधियों को रिहा किया है। इसके साथ ही डेढ़ हज़ार से अधिक गिरफ्तार लोगों से पूछताछ जारी है। दोनों पक्षों ने ‘शांति’ की बात कही, पर हर रिहाई की गूँज किसी की चीख़ में दब गई।

दोनों तरफ़ खून बहा, दोनों तरफ़ मातम पसरा। सवाल अब यही है कि क्या इसे वास्तव में ‘शांति समझौता’ कहा जा सकता है?

ट्रम्प को स्टैंडिंग ओवेशन, लेकिन सवाल बाकी

इसराइल संसद में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को आज स्टैंडिंग ओवेशन मिला। उन्हें उस व्यक्ति के रूप में सराहा गया जिसने असंभव समझे जाने वाले समझौते को संभव बनाया।

मगर दुनिया भर में लोग अब भी पूछ रहे हैं, इस शांति का विजेता कौन है और हारा कौन? जब धरती पर इंसानियत का लहू बहे, तो किसी का भी जीतना क्या मायने रखता है?

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