Friday, October 3, 2025

एच-वन वीजा: ट्रंप के नए नियम से H-1B वीजा धारकों की मुश्किलें बढ़ीं, भारतीय प्रोफेशनल्स में चिंता

एच-वन वीजा: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा धारकों पर सख्त नियम लागू कर दिए हैं, जिनका सबसे ज्यादा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ा है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

नए आदेश के तहत अब H-1B वीजा पर काम करने वाले कर्मचारियों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति तभी मिलेगी, जब वे वीजा आवेदन के साथ 100,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करेंगे।

यह आदेश 21 सितंबर 2025 की मध्यरात्रि से लागू हो रहा है। इस फैसले से भारतीय आईटी पेशेवरों और बड़ी टेक कंपनियों के बीच चिंता बढ़ गई है।

एच-वन वीजा: बड़ी टेक कंपनियों ने जारी की एडवाइजरी

मेटा, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और जेपी मॉर्गन जैसी कंपनियों ने अपने H-1B वीजा धारक कर्मचारियों को सलाह दी है कि वे अमेरिका से बाहर न जाएं।

कंपनियों ने चेतावनी दी है कि जो लोग फिलहाल अमेरिका से बाहर हैं, उन्हें आदेश लागू होने से पहले देश में लौट आना चाहिए।

अगर वे समय पर वापस नहीं लौटे तो उनके लिए प्रवेश पाना मुश्किल हो सकता है। टेक कंपनियों का मानना है कि यह कदम उनके कर्मचारियों के कामकाज पर गहरा असर डाल सकता है।

बाहर गए कर्मचारियों के फंसने का खतरा

आव्रजन मामलों के विशेषज्ञों ने कहा है कि जिन H-1B वीजा धारकों की यात्रा अमेरिका से बाहर चल रही है, उन्हें अगले 24 घंटे के भीतर देश लौट आना चाहिए।

अन्यथा वे लंबे समय तक फंस सकते हैं। न्यूयॉर्क स्थित जाने-माने वकील साइसर मेहता ने चेतावनी दी कि भारत में मौजूद वीजा धारकों को विशेष सावधानी बरतनी होगी।

उन्होंने कहा कि सीधी उड़ानें समय पर न पहुंचने की वजह से कई लोग नई शर्तें लागू होने से पहले अमेरिका वापस नहीं लौट पाएंगे। इससे उनका वीजा स्टेटस खतरे में पड़ सकता है।

भारतीय पेशेवरों पर बड़ा असर

भारत से हर साल बड़ी संख्या में आईटी और टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स H-1B वीजा पर अमेरिका जाते हैं। वे वहां की अर्थव्यवस्था और टैक्स व्यवस्था में अहम योगदान करते हैं।

‘कैटो इंस्टीट्यूट ऑफ इमिग्रेशन स्टडीज’ के निदेशक डेविड बियर ने कहा कि भारतीयों ने अमेरिका को सैकड़ों अरब डॉलर टैक्स और करोड़ों डॉलर फीस के रूप में दिए हैं।

उन्होंने इस समुदाय को शांतिप्रिय और मेहनती बताया। उनका कहना है कि अब ट्रंप के आदेश से इन्हें अनुचित रूप से निशाना बनाया जा रहा है।

बढ़ती अनिश्चितता और आलोचना

इस फैसले को लेकर कई विशेषज्ञ और संगठन नाराजगी जता रहे हैं।

उनका कहना है कि भारतीय पेशेवर अमेरिकी कानून का पालन करने वाले और सबसे योगदान देने वाले समुदायों में से एक हैं। इ

सके बावजूद उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। आलोचकों का मानना है कि यह आदेश न केवल भारतीयों के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा,

बल्कि अमेरिकी कंपनियों को भी प्रतिभाशाली कर्मचारियों की कमी से जूझना पड़ेगा।

Madhuri Sonkar
Madhuri Sonkarhttps://reportbharathindi.com/
ETV Bharat में एक साल ट्रेनिंग कंटेंट एडिटर के तौर पर काम कर चुकी हैं। डेली हंट और Raftaar News में रिपोर्टिंग, V/O का अनुभव। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और बॉलीवुड न्यूज पर अच्छी पकड़।
- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest article