Gen Z: आज की जनरेशन को अक्सर “Gen Z” कहा जाता है और यह पीढ़ी अपनी अलग पहचान और अलग काम करने के स्टाइल के लिए जानी जाती है।
इनकी सोच पारंपरिक दायरों से बाहर है – ये लोग किसी के सख्त कंट्रोल में रहकर काम करना पसंद नहीं करते, बल्कि काम और निजी जीवन के बीच बैलेंस को सबसे ज़्यादा अहमियत देते हैं।
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Gen Z: बदलता हुआ कार्य-संस्कृति का नज़रिया
Gen Z: मौजूदा दौर में काम का दबाव और स्पीड पहले से कहीं ज़्यादा है। ऐसे में Gen Z का काम करने का तरीका पिछली पीढ़ियों से बिल्कुल अलग हो गया है।
केपीएमजी की Intern Pulse Survey 2025 के मुताबिक, करीब 1,117 अमेरिकी इंटर्न्स पर की गई स्टडी से यह सामने आया कि इस पीढ़ी की सबसे बड़ी प्राथमिकता है – वर्क-लाइफ बैलेंस।
लगभग 47% युवाओं ने माना कि वे पारंपरिक 9 से 5 की नौकरी को बदलना चाहते हैं।
Gen Z: इसके बाद ही वेतन और अन्य सुविधाओं का नंबर आता है। इसका मतलब साफ है – इनके लिए मानसिक शांति और समय का सही उपयोग, पैसे से कहीं अधिक मायने रखता है।
मानसिक स्वास्थ्य सबसे आगे
आज की युवा पीढ़ी काम में खुद को झोंक देने के बजाय मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती है।
Deloitte की रिपोर्ट बताती है कि लगभग 46% Gen Z कर्मचारी अक्सर तनाव और चिंता से जूझते हैं।
Gen Z: यही कारण है कि वे ऐसी नौकरियां चुनना चाहते हैं जहाँ उनकी मानसिक स्थिति का सम्मान किया जाए और आराम व लचीलापन भी दिया जाए।
तकनीक में निपुण लेकिन अनुभव के भूखे
Gen Z डिजिटल और तकनीकी रूप से बेहद मजबूत है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि ये केवल AI या वर्चुअल ट्रेनिंग से संतुष्ट हो जाते हैं।
यह पीढ़ी हाथों-हाथ सीखने, पर्सनल गाइडेंस और असली अनुभव को अधिक महत्व देती है।
Gen Z: इन्हें किताबों और ऑनलाइन मॉड्यूल से ज्यादा असली दुनिया में सीखना पसंद है।
फ्लेक्सिबिलिटी = प्रोडक्टिविटी
Gen Z का मानना है कि फ्लेक्सिबल काम के विकल्प सिर्फ “सुविधा” नहीं हैं, बल्कि ये सीधे तौर पर उनकी प्रोडक्टिविटी को प्रभावित करते हैं।
जब उन्हें अपने निजी समय और स्पेस का सम्मान मिलता है, तो वे और बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
यही कारण है कि यह पीढ़ी ऐसी कंपनियों को प्राथमिकता देती है, जहाँ काम का माहौल संतुलित और आरामदायक हो।
कंपनियों के लिए सीख
इस पूरी स्टडी का सार यही है कि Gen Z के लिए पैसे से ज्यादा ज़रूरी है उनका संतुलित और सुकून भरा जीवन।
कंपनियों के लिए यह समझना बेहद अहम है कि अगर वे इस नई पीढ़ी के टैलेंट को अपने साथ लंबे समय तक बनाए रखना चाहती हैं, तो उन्हें अपनी नीतियों और वर्क-कल्चर में बदलाव लाना होगा।