असम में भाजपा सरकार द्वारा अवैध कब्जों को हटाने की मुहिम के बीच कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने ऐसा बयान दिया जिससे नया राजनीतिक भूचाल आ गया है। गोगोई ने कहा है कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह अतिक्रमणकारियों को जमीन वापस देगी।
गौरव गोगोई के अनुसार, भाजपा सरकार जिन जमीनों को अवैध कब्जे से मुक्त करा रही है, वही जमीनें कांग्रेस गरीबों को फिर से देगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आते ही पहली कैबिनेट बैठक में इन जमीनों का पुनर्वितरण करेगी।
भाजपा सरकार के भूमि सुधारों पर निशाना साधते हुए गोगोई ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भ्रष्टाचार और अन्याय फैलाने का आरोप लगाया।
उन्होंने दावा किया कि असम की जनता उन्हें जेल में देखना चाहती है और राहुल गांधी का यह वादा वह पूरा करके रहेंगे।
इस पर मुख्यमंत्री सरमा ने तीखा पलटवार करते हुए पूछा कि क्या गारंटी है कि राहुल गांधी उनसे पहले जेल नहीं जाएंगे।
उन्होंने याद दिलाया कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर हैं।
हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार चल रहा अतिक्रमण हटाओ अभियान
गौरतलब है कि असम में कांग्रेस शुरुआत से ही अतिक्रमण हटाने के खिलाफ रही है, जबकि गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पूर्वोत्तर के चार राज्यों के सीमावर्ती वन क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाने का स्पष्ट निर्देश दिया है। कोर्ट के आदेश पर एक उच्च स्तरीय समिति भी गठित की गई है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2024 तक असम में 3,620.9 वर्ग किलोमीटर वन भूमि अतिक्रमण की चपेट में थी। यह आंकड़ा मध्य प्रदेश के बाद देश में दूसरे स्थान पर आता है।
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कई बार राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वन क्षेत्रों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाए।
साथ ही यह भी कहा गया है कि वन्यजीवों और जैव विविधता पर हो रहे दुष्प्रभाव को कम करने के लिए कार्रवाई अनिवार्य है।
अतिक्रमण से जानवरों का विस्थापन और कांग्रेस की भूमिका
असम में दशकों से चले आ रहे अतिक्रमण ने न केवल वन्यजीवों का निवास स्थान छीना, बल्कि मानव-पशु संघर्ष को भी बढ़ा दिया। विशेष रूप से ग्वालपाड़ा जैसे जिलों में हाथियों के हमलों की घटनाएँ आम हो गई हैं।

मुख्यमंत्री सरमा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और कट्टरपंथी संगठनों ने अतिक्रमणकारियों को उकसाया, जिससे पुलिस पर हमले हुए और हिंसा भड़की। उन्होंने कहा कि यही नारे जो बांग्लादेश में लगाए जाते हैं, अब असम में भी सुनाई दे रहे हैं।
ग्वालपाड़ा में पुलिस कार्रवाई के दौरान 21 पुलिसकर्मी घायल हुए। मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को अतिक्रमण करने और सरकारी जमीन पर कब्जा करने के लिए उकसाया था।
गोगोई की विदेशी संबंधों पर गंभीर सवाल
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गौरव गोगोई की विदेशी पत्नी एलिजाबेथ और उनके पाकिस्तानी सहयोगियों को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने कहा कि एलिजाबेथ की कार्यस्थली में पाकिस्तानी मूल के अली तौकीर शेख का सक्रिय प्रभाव रहा है, जिनपर भारत विरोधी प्रचार का लंबा रिकॉर्ड है।
सरमा ने आरोप लगाया कि गोगोई के संबंध विदेशी फंडिंग और राष्ट्रविरोधी संगठनों से हैं। उन्होंने कहा कि यह सवाल गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं और इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी संसद में यह मुद्दा उठाया था और पूछा था कि गोगोई ने कई बार पाकिस्तान की यात्रा की लेकिन कभी भारत-पाक सीमा पर जाकर जवानों की स्थितियाँ क्यों नहीं देखीं।
कट्टरपंथी मौलाना से गुप्त मुलाकात और मदरसों पर कार्रवाई
गौरव गोगोई जब असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने, तब उन्होंने बराक घाटी जाकर मौलाना गोविंदपुरी से गुप्त मुलाकात की थी।
सरकार का आरोप है कि यह बैठक रात में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के नाम पर की गई थी, जिसमें कट्टरपंथी एजेंडा तय हुआ।
राज्य सरकार ने ऐसे कई मदरसों को बंद किया है जहाँ शिक्षा के नाम पर कट्टरता फैलाई जा रही थी। इन संस्थानों के पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से संपर्क के प्रमाण भी सामने आए हैं, जिनका कांग्रेस ने खुलकर विरोध किया।
सरमा सरकार की कार्रवाई पर कांग्रेस की चुप्पी और कट्टरपंथियों के समर्थन ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि कहीं यह सारा विरोध वोट बैंक की राजनीति तो नहीं।
बेदखली मुहिम तेज़, 10 लाख एकड़ जमीन पर कब्जा
पिछले पाँच दिनों में ही असम प्रशासन ने गोलाघाट जिले में 8900 बीघा जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराई है और 4000 से अधिक अवैध ढाँचों को ध्वस्त किया है। दोयांग रिजर्व फॉरेस्ट में 205 घरों को खाली करने का नोटिस भी जारी किया गया है।
मुख्यमंत्री सरमा के अनुसार, असम में कथित ‘बांग्लादेशी घुसपैठिए और संदिग्ध नागरिक’ कुल 29 लाख बीघा यानी 10 लाख एकड़ भूमि पर कब्जा जमाए हुए हैं। सरकार अब तक 1.29 लाख बीघा भूमि को मुक्त करा चुकी है।
सरकार की योजना है कि इस जमीन को वन विकास, सार्वजनिक कल्याण और मूल निवासियों के हित में उपयोग में लाया जाए।
सरमा ने स्पष्ट किया कि ये घुसपैठिए ‘मिया लैंड’ जैसे राज्य की माँग कर रहे हैं, लेकिन वह भारत में नहीं, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में ही संभव है।
वैष्णव मठों पर कब्जा और वन अधिकारों की रक्षा
राज्य के धार्मिक स्थलों को भी अतिक्रमण से नहीं बख्शा गया। वैष्णव मठों की 15,288.52 बीघा भूमि पर अब भी कब्जा है, जिसे मुक्त कराने के लिए सरकार अभियान चला रही है।
सरमा ने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि अवैध कब्जे हटाए जाएँ, लेकिन साथ ही जनजातीय समुदायों को वन अधिकार अधिनियम के तहत पूर्ण सुरक्षा दी जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि यह पूरा अभियान अगले दस वर्षों में पूरा किया जाएगा। उनका लक्ष्य है कि असम को पूरी तरह अतिक्रमणमुक्त बनाकर प्राकृतिक संतुलन बहाल किया जा सके।
कांग्रेस की रणनीति पर उठते सवाल
जहाँ एक ओर सरमा सरकार वन संरक्षण और राज्य हित में अवैध अतिक्रमण हटाने में जुटी है, वहीं कांग्रेस पार्टी का विरोध इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का प्रयास माना जा रहा है। कांग्रेस के बयान और रणनीतियाँ राज्य के हितों के विरुद्ध जाती प्रतीत होती हैं।
कांग्रेस का दृष्टिकोण ऐसा दिखता है जिसमें वह न केवल अवैध अतिक्रमण को उचित ठहराने की कोशिश कर रही है बल्कि भारतीय और विदेशी मुस्लिम घुसपैठियों के बीच फर्क करना भी भूल गई है।
राजनीतिक लाभ की चाह में कांग्रेस की यह नीति असम में कानून, पर्यावरण और सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है।