नागपुर सम्मेलन में दिया विवादित बयान
नागपुर में महानुभाव पंथ के सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि धर्म की आड़ में राजनीति करना समाज के लिए नुकसानदायक है।
उन्होंने यह भी कहा कि राजनेता जहां भी घुसते हैं वहां आग लगाए बिना नहीं रहते और सत्ता के हाथों में धर्म जाने पर हानि ही होती है।
धर्म और राजनीति को अलग बताने की कोशिश
गडकरी ने सम्मेलन में दावा किया कि धर्मकार्य, समाजकार्य और राजनीति तीनों बिल्कुल अलग-अलग हैं।
उनके अनुसार धर्म व्यक्तिगत श्रद्धा का विषय है और कुछ राजनीतिज्ञ इसका दुरुपयोग करते हैं जिससे विकास और रोजगार जैसे असली मुद्दे पीछे छूट जाते हैं। उन्होंने चक्रधर स्वामी की शिक्षाओं को प्रेरणादायक बताया।
हिंदुत्व से मिली पहचान भूल गए गडकरी
हिंदुत्व समर्थकों का कहना है कि गडकरी यह भूल रहे हैं कि यदि राजनीति में हिन्दुत्व की ताकत न होती तो आज वे भी कहीं टेम्पो चला रहे होते।
सत्ता और सम्मान उन्हें हिन्दुत्व की नींव पर ही मिला, लेकिन आज वही नेता मंच से सेकुलरिज्म का राग अलाप रहे हैं।
विकास के नाम पर चुनाव लड़ने की चुनौती
कई हिन्दू कार्यकर्ताओं ने गडकरी को लताड़ते हुए कह रहे हैं कि यदि उनमें हिम्मत है तो एक बार केवल विकास के नाम पर चुनाव लड़कर दिखाएं।
तब उन्हें अपनी असलियत का पता चल जाएगा और समझ आ जाएगा कि जनता का विश्वास किस आधार पर टिका हुआ है।
चक्रधर स्वामी की शिक्षाओं का संदर्भ
गडकरी ने अपने भाषण में महानुभाव पंथ के संस्थापक चक्रधर स्वामी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि चक्रधर स्वामी ने सत्य, अहिंसा, शांति, मानवता और समानता के मूल्य सिखाए।
परंतु आलोचकों का कहना है कि इन मूल्यों को हिंदुत्व से अलग बताना ही गडकरी की सबसे बड़ी भूल है।