Fatehpur: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के रेडईया मोहल्ले में 200 साल पुराने एक मकबरे को लेकर माहौल गरम हो गया है।
मामला तब उभरा जब बीजेपी जिला अध्यक्ष समेत बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों ने इस मकबरे को ठाकुर जी का मंदिर बताते हुए 11 अगस्त को यहां पूजा-अर्चना करने की घोषणा की।
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Fatehpur: भीड़ ने तोड़ा बैरिकेडिंग
हिंदू संगठनों की इस चेतावनी के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और विवादित स्थल को बैरिकेडिंग और बल्लियों से घेरकर किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी। प्रशासन की इस कार्रवाई का मकसद संभावित टकराव को रोकना था,
लेकिन इसके बावजूद भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़कर भीतर जाने का प्रयास किया, जिससे हालात तनावपूर्ण हो गए।
जानकारी के मुताबिक, हिंदू संगठनों का दावा है कि रेडईया मोहल्ले का यह मकबरा वास्तव में एक प्राचीन मंदिर था, जिसे तोड़कर मकबरा बना दिया गया।
उनका कहना है कि यहां भगवान ठाकुर जी की पूजा होती थी और अब वे उसी परंपरा को पुनः शुरू करना चाहते हैं।
दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मकबरा दो शताब्दी पुराना है और हमेशा से धार्मिक रूप से इस्लामिक स्थल रहा है।
उनका आरोप है कि यह विवाद जानबूझकर पैदा किया जा रहा है ताकि जिले के साम्प्रदायिक माहौल को बिगाड़ा जा सके।
सरकार राजनीति लाभ के लिए कर रही इस्तेमाल
मुस्लिम संगठनों ने इस मामले में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि प्रशासन और हिंदूवादी संगठन मस्जिदों व अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थलों में मंदिर खोजने की कोशिश कर रहे हैं।
राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद आमिर रशादी के प्रतिनिधि मोहम्मद अनीस ने इसे राष्ट्रीय संपत्ति बताते हुए कानूनी रूप से सुरक्षित रखने की मांग की है।
उनका कहना है कि सरकार और मठ संघर्ष समिति इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं।
कई फोर्स बल तैनात
वहीं स्थानीय स्तर पर स्थिति बिगड़ने की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने पीएसी और कई थानों की पुलिस फोर्स को विवादित स्थल के आसपास तैनात कर दिया है। किसी को भी मकबरे के अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है।
प्रशासन के मुताबिक, यह कदम शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। इसके बावजूद हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की भीड़ लगातार जुट रही है और कई बार पुलिस से उनकी झड़प भी हो चुकी है।
लोगों ने कहा गुंबद में मंदिर के अवशेष
स्थानीय महिलाओं ने दावा किया है कि यह स्थल मंदिर है और इसके अंदर जंजीर गुम्बद में लटक रही है, जो इस बात का प्रमाण है कि यहां कभी मंदिर था। उनका कहना है कि यह स्थान हिंदू धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है।
इसे वापस मंदिर के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यह महज अफवाह और झूठा प्रचार है, जिसका उद्देश्य धार्मिक ध्रुवीकरण करना है।
हालात की गंभीरता को देखते हुए जिले में तनावपूर्ण माहौल है। दोनों समुदायों के लोग अपने-अपने पक्ष में भीड़ के रूप में जुट रहे हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो रही है।
जिला प्रशासन फिलहाल इस मामले पर सार्वजनिक बयान देने से बच रहा है और शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर रहा है। इस पूरे प्रकरण ने जिले में साम्प्रदायिक तनाव को नई दिशा दे दी है।