CM Himanta Biswa Statement: बीजेपी के फायरब्रांड नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने लोकसभा चुनाव के बीच एक मीडिया से बातचीत में कहा है कि मुसलमानों को काशी के ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह पर अपना दावा करना छोड़ देना चाहिए। ये जगह हिंदुओं की है इसलिए मुस्लिमों को इन जगहों को हिंदुओं के लिए छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से इस्लामोफोबिया खत्म हो जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी इसका मुकाबला नहीं कर पाएंगे।
सलाह-मशविरे से दूसरी जगह लेजा सकते हैं मस्जिद
असम सीएम ने कहा, “अब मोदीजी काशी कॉरिडोर का निर्माण कर रहे हैं। हर कोई वहां जाता है। जो भी काशी जाता है वह ज्ञानवापी मस्जिद देखता है। लोग सवाल पूछते हैं और वे गुस्से में वापस आते हैं। अगर मस्जिद को जबरन नहीं बल्कि आपसी सलाह-मशविरे से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, तो स्थिति अलग होगी।” उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद को बलपूर्वक नहीं हटाया जा सकता है, बल्कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच परामर्श के माध्यम से ही संभव यह हो सकता है।
अगले 5 साल में सुलझ जाएंगें सब मुद्दे
CM हिमंत बिस्वा ने कहा कि मुझे लगता है कि अब हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कुछ ही मुद्दे बचे हैं। मोदी सरकार के आने वाले 5 सालों में ये सभी मुद्दे सुलझ जाएंगे। धीरे-धीरे हम विकास की राजनीति देखेंगे। हमें भारत को विकसित बनाना है और सभी समुदायों को सद्भाव से रहना है। उन्हें शाही ईदगाह को किसी दूसरे स्थान पर ले जाना चाहिए। अगर ज्ञानवापी मस्जिद को जबरन नहीं बल्कि आपसी परामर्श से स्थानांतरित किया जा सकता है, तो स्थिति अलग होगी।
मुसलमानों को स्वीकार करने दें यूनिफॉर्म सिविल कोड
असम सीएम कहा, “मुसलमानों को यूनिफॉर्म सिविल कोड को स्वीकार करने दें। इसके अलावा मुस्लिम मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि को स्वीकार करें। ज्ञानवापी मंदिर को स्वीकार करें। इससे चीजें बदल जाएंगी। इससे हिंदुओं में इस्लामोफोबिया कम होगा।” उन्होंने कहा कि असम में मैंने मुस्लिम समुदाय के एक बड़े हिस्से को हिंदू विरोधी से हिंदुओं के साथ रहने वाले लोगों में बदल दिया है। असम में कई जगहों पर परिवर्तन हुआ है। यही कारण है कि लव जिहाद की घटनाओं में कमी आई है, जमीन हड़पने की घटनाओं में कमी आई है।