DR. K. OMANAKUTTY AMMA: डॉ. के. ओमनाकुट्टी अम्मा भारतीय कर्नाटक संगीत की एक प्रतिष्ठित शिक्षिका, कलाकार और विदुषी हैं। सात दशकों से अधिक समय तक संगीत साधना और शिक्षा को समर्पित जीवन।
उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत, विशेषकर कर्नाटक संगीत की परंपरा को संरक्षित और विकसित करने में अतुलनीय योगदान दिया है। वे शिक्षा, अनुसंधान, सामाजिक सेवा और सांस्कृतिक संरक्षण का विलक्षण संगम हैं।
DR. K. OMANAKUTTY AMMA: संगीतिक विरासत और प्रारंभिक प्रशिक्षण
24 मई, 1943 को जन्मी डॉ. ओमनाकुट्टी एक ऐसे परिवार से आती हैं जहाँ संगीत पीढ़ियों से जीवन का हिस्सा रहा है। उन्हें उनके माता-पिता से प्रारंभिक प्रशिक्षण प्राप्त हुआ और आगे चलकर उन्होंने सेम्मनगुडी श्रीनिवास अय्यर और जी.एन. बालासुब्रमण्यम जैसे कर्नाटक संगीत के महान आचार्यों से उच्च कोटि की शिक्षा प्राप्त की। यह गहन गुरु-शिष्य परंपरा उनकी संगीत साधना की रीढ़ बनी।
अकादमिक योगदान और शिक्षण सेवा
उन्होंने केरल विश्वविद्यालय और कालीकट विश्वविद्यालय में लगभग 36 वर्षों तक शिक्षण कार्य किया। डॉ. ओमनाकुट्टी ने केरल विश्वविद्यालय में संगीत विभाग की स्थापना की, जो आज राज्य के शास्त्रीय संगीत शिक्षा का आधार स्तंभ है।
उनकी शिष्या पद्म भूषण से सम्मानित के.एस. चित्रा जैसी अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गायिका रही हैं, जो उनकी शिक्षण क्षमता और प्रभाव का परिचायक है।
ऑल इंडिया रेडियो और शोध कार्य
डॉ. ओमनाकुट्टी ऑल इंडिया रेडियो पर A-टॉप ग्रेड प्राप्त करने वाली पहली महिला कलाकार हैं। उन्होंने कथकली संगीत पर पीएच.डी. की और केरल की पारंपरिक संगीत शैलियों को पुनर्जीवित करने के लिए कई शोधपरक परियोजनाएँ चलाईं।
उनकी ‘गणकैराली’ परियोजना के अंतर्गत स्वाति थिरुनल, इरयिममन थम्पी और अन्य रचनाकारों की रचनाओं का प्रदर्शन किया गया, जिसकी 50वीं कड़ी जनवरी 2025 में प्रसारित हुई।
संगीत के माध्यम से सामाजिक सेवा
उन्होंने संगीत को सिर्फ प्रदर्शन की वस्तु नहीं, बल्कि सेवा और चिकित्सा के रूप में देखा। डॉ. ओमनाकुट्टी ने विकलांग बच्चों और वृद्धाश्रमों में संगीत चिकित्सा के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया है। उनके लिए संगीत आत्मा की शुद्धि और समाज की सेवा का माध्यम है।
पुरस्कार, सम्मान और पद्मश्री
डॉ. ओमनाकुट्टी को उनके संगीत, शिक्षा और सामाजिक योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मान प्राप्त हुए हैं। इनमें केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और फैलोशिप, स्वाति पुरस्कार (केरल सरकार), मद्रास संगीत अकादमी से आचार्य सम्मान, और गुरुवायुरप्पन पुरस्कार शामिल हैं।
भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2025 में कर्नाटक संगीत के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया, जो उनके जीवन भर के समर्पण और उत्कृष्टता का राष्ट्रीय स्तर पर उच्चतम सम्मान है।