मॉस्को में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के होश उड़ा दिए हैं।
जिस समय यह गर्मजोशी भरी मुलाकात हुई, उसी वक्त ट्रंप भारत पर अब तक का सबसे भारी 50% टैरिफ लगाने का ऐलान कर रहे थे।
यह स्पष्ट है कि भारत-रूस की नजदीकी ने वॉशिंगटन में बेचैनी और खलबली मचा दी है।
अमेरिका ने रूस से तेल खरीद को बहाना बनाकर भारत पर टैरिफ दोगुना किया, साथ ही धमकी दी कि अगर यूक्रेन युद्ध शुक्रवार तक खत्म नहीं हुआ तो रूस से तेल लेने वाले देशों पर एक और प्रतिबंध लगेगा।
लेकिन भारत ने यह संदेश साफ दे दिया कि उसकी विदेश नीति व्हाइट हाउस के इशारों पर नहीं चलेगी।
क्रेमलिन में डोभाल का जबरदस्त स्वागत, पुतिन की मुस्कान में छिपा ट्रंप को जवाब
क्रेमलिन से जारी वीडियो में पुतिन पूरे जोश के साथ डोभाल से हाथ मिलाते, गले लगते और बैठने का आग्रह करते नजर आए।
यह दृश्य ट्रंप के लिए किसी कड़वी दवा से कम नहीं था। डोभाल ने रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु से भी मुलाकात की और रक्षा व ऊर्जा सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।

अमेरिका को इसी सहयोग से चिढ़ है, क्योंकि इससे भारत उसकी आर्थिक और सामरिक पकड़ से बाहर निकल रहा है।
पुतिन का इस साल के अंत में भारत दौरे पर आना तय है, और डोभाल की यह यात्रा उसी की तैयारी है।
पुतिन की मुस्कान और आत्मीयता में छिपा संदेश था कि रूस-भारत की दोस्ती किसी भी अमेरिकी दबाव से नहीं डगमगाएगी।
ट्रंप का दोहरा चरित्र बेनकाब, विदेश मंत्रालय ने सुनाया सख्त फरमान
ब्राजील के बाद भारत पर ट्रंप ने सबसे ज्यादा टैरिफ लगाया, 7 अगस्त से 25% और 21 अगस्त से एक और 25% जोड़कर कुल 50%।
विदेश मंत्रालय ने इसे ‘अन्यायपूर्ण’ और ‘असंगत’ बताते हुए देशहित में कड़े कदम उठाने का ऐलान किया।
ट्रंप के पाखंड को उजागर करते हुए यह भी सामने आया कि खुद अमेरिका रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम और उर्वरक आयात करता है।

यूरोपीय संघ भी रूस से व्यापार पूरी तरह खत्म नहीं कर पाया। लेकिन भारत पर दबाव बनाने की यह रणनीति ट्रंप की हताशा और जलन को दिखाती है।
जब उनसे इस पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने रूस से अमेरिकी व्यापार की जानकारी होने से ही इनकार कर दिया, यह उनकी घबराहट का सबूत था।
पीएम मोदी का सीधा संदेश, किसानों का हित पहले, ट्रंप की धमकी बाद में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि किसानों, मछुआरों और डेयरी उद्योग के हितों से कोई समझौता नहीं होगा।
उन्होंने स्वीकार किया कि इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन वे तैयार हैं।
यह बयान ट्रंप को सीधा संदेश था कि भारत अपनी रीढ़ झुका कर नहीं, बल्कि सिर ऊँचा कर के चलेगा।
भारत ने अब अमेरिकी टैरिफ बम के जवाब में मोर्चा खोल दिया है। डोभाल रूस में रणनीतिक साझेदारी पुख्ता कर रहे हैं, तो पीएम मोदी जापान और चीन से कूटनीतिक समर्थन जुटा रहे हैं।
ब्राजील पहले ही ब्रिक्स देशों को अमेरिकी टैरिफ का मुकाबला करने के लिए एकजुट होने की अपील कर चुका है।
ऐसे में पुतिन का आने वाला भारत दौरा ट्रंप के लिए और भी बेचैनी का कारण बनने वाला है।