Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में 12 देशों के नागरिकों के अमेरिका में आने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। उनका कहना है कि इन देशों से सुरक्षा को खतरा है।
जिन देशों पर यह रोक लगी है, वे हैं – अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन।
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Donald Trump: ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में छिपा मिला
इसके अलावा सात और देशों जैसे बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिप्रा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला पर कुछ हद तक रोक लगाई गई है, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान का नाम इस लिस्ट में नहीं है।
जबकि सबको पता है कि अमेरिका पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले 9/11 का मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही छिपा मिला था। ऐसे में पाकिस्तान को इस लिस्ट से बाहर रखना बहुत लोगों को अजीब लग रहा है। कई जानकार मानते हैं कि यह अमेरिका की आतंकवाद को लेकर दोहरी सोच दिखाता है।
पाकिस्तान पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप और उनके परिवार को पाकिस्तान से जुड़े एक क्रिप्टो समझौते में फायदा हुआ है। इसी वजह से पाकिस्तान पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया। उल्टा, पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बड़ी जिम्मेदारियां दी जा रही हैं।
उदाहरण के तौर पर, पाकिस्तान को 2025 में संयुक्त राष्ट्र की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष बना दिया गया है। इसके अलावा पाकिस्तान, आतंकवाद विरोधी समिति का उपाध्यक्ष भी बनाया गया है, जिसमें 15 देश शामिल हैं। भारत इस समिति का अध्यक्ष 2022 में था।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर
इस बीच अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के टाइम्स स्क्वायर पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है। इसमें पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की आलोचना की गई है।
एक बिलबोर्ड पर असीम मुनीर को “झूठा” और “धोखेबाज मार्शल” कहा गया है, जबकि शरीफ और जरदारी को “दो बदमाश” बताया गया है। यह दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को चाहे जो सम्मान मिल रहा हो, लेकिन आम लोगों के बीच उसकी छवि साफ नहीं है।
इस पूरे मामले से यह साफ हो जाता है कि अमेरिका की विदेश नीति में निष्पक्षता नहीं है। जहां कुछ देशों पर सख्ती दिखाई जाती है, वहीं कुछ देशों को अपने फायदे के लिए छूट दे दी जाती है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में यह रवैया गंभीर सवाल खड़े करता है।