Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक क्रांतिकारी मिसाइल रक्षा प्रणाली “गोल्डन डोम” की घोषणा की है, जो न केवल धरती से बल्कि अंतरिक्ष से दागी गई मिसाइलों को भी इंटरसेप्ट करने में सक्षम होगी।
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Donald Trump: 2029 तक बन जाएगा गोल्डेन डोम
यह प्रणाली अब तक के सबसे एडवांस्ड और व्यापक सुरक्षा कवच के रूप में देखी जा रही है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 15 लाख करोड़ रुपये बताई गई है। ट्रम्प प्रशासन का दावा है कि यह सिस्टम उनके कार्यकाल के अंत तक, यानी जनवरी 2029 तक पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा।
चीन, रूस, ईरान और नार्थ कोरिया से खतरा
इस डिफेंस सिस्टम को विकसित करने के पीछे मुख्य कारण चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया से उत्पन्न हो रहे अंतरमहाद्वीपीय खतरे हैं। अब तक की परंपरागत मिसाइल डिफेंस प्रणालियाँ सीमित रेंज तक ही असरदार रही हैं, लेकिन गोल्डन डोम की क्षमता वैश्विक स्तर की होगी।
1,000 से अधिक ट्रैकिंग सैटेलाइट्स
यह दुनिया के किसी भी कोने से छोड़ी गई मिसाइल को अंतरिक्ष में ही इंटरसेप्ट कर सकेगा। इसके लिए 1,000 से अधिक ट्रैकिंग सैटेलाइट्स तैनात किए जाएंगे जो लगातार धरती के चारों ओर निगरानी रखेंगे। साथ ही 200 से अधिक अटैक सैटेलाइट्स दुश्मन की मिसाइलों को लॉन्च से पहले ही नष्ट करने के लिए तैयार रहेंगे।
आयरन डोम और गोल्डेन डोम में क्या अंतर
अब तक दुनिया में इजरायल के आयरन डोम को सबसे प्रभावी मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता रहा है, जो कम दूरी की मिसाइलों और रॉकेट से बचाव में करीब 90% सफलता दर के साथ काम करता है।
लेकिन अमेरिका के गोल्डन डोम को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि इसकी सफलता दर 100% होगी, जो सैन्य तकनीक के क्षेत्र में एक असाधारण छलांग मानी जा रही है।
पहली बार कोई देश बना रहा ऐसा गोल्डेन डोम
इस प्रणाली की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह से अंतरिक्ष में आधारित होगी। पहली बार कोई देश अंतरिक्ष को युद्धक्षेत्र के रूप में उपयोग करने की दिशा में व्यावहारिक कदम उठा रहा है।
यह सिर्फ एक डिफेंस सिस्टम नहीं बल्कि एक नई अंतरिक्ष रणनीति का हिस्सा है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
अमेरिका की सैन्य ताकत को नई ऊंचाई
यह तकनीक मिसाइल ट्रैकिंग और रिएक्शन को माइक्रोसेकंड के भीतर संभव बनाएगी। गोल्डन डोम का ऐलान न केवल अमेरिका की सैन्य ताकत को नई ऊंचाई देगा, बल्कि यह अंतरिक्ष हथियारों की दौड़ की भी शुरुआत मानी जा रही है, जिसमें बाकी देश अब पीछे नजर आ रहे हैं।
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