Donald Trump: आख़िर ऐसा क्या बदल गया कि डोनाल्ड ट्रंप अब भारत के विरोधी माने जाने वाले देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की के साथ तेजी से नजदीकियां बढ़ा रहा है। एक समय भारत के समर्थक माने जाने वाले ट्रंप अब उन देशों में व्यापारिक और निवेश के अवसर तलाश रहे हैं, जिनके साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण हैं।
Table of Contents
Donald Trump: जेंट्री बीच ने पाकिस्तान का दौरा किया
इस बदलाव के पीछे ट्रंप के कारोबारी हित और आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति दिखाई देती है। हाल ही में ट्रंप के बेहद करीबी माने जाने वाले जेंट्री बीच ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की का दौरा किया।
ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी
पाकिस्तान में वे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से दो बार मिले और अरबों डॉलर के खनिज, तेल, गैस और रियल एस्टेट में संभावनाओं की बात की। इसके बाद पाकिस्तान की क्रिप्टो काउंसिल और ट्रंप परिवार की कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के बीच एक बड़ा सौदा हुआ, जिसमें ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी है।
रियल एस्टेट क्षेत्रों में FDI का भरोसा
बांग्लादेश में भी स्थिति कुछ अलग नहीं। जेंट्री बीच ने अंतरिम सरकार के सलाहकारों से मुलाकात कर तेल, गैस, रक्षा और रियल एस्टेट में बड़े निवेश का वादा किया है। बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता और विदेशी निवेश की भूख, ट्रंप को वहां एक सुनहरा मौका नज़र आ रही है।
लेकिन सबसे दिलचस्प प्रस्ताव तुर्की को दिया गया है। उसे चीन की जगह “दुनिया की अगली फैक्ट्री” बनाने का ऑफर। ट्रंप जानते हैं कि अमेरिकी कंपनियां चीन से नाराज़ हैं, और तुर्की को आगे लाकर वे खुद को अमेरिकी व्यापारियों का नया नायक बना सकते हैं।
ये सब केवल पैसे का खेल नहीं है। ट्रंप को यहां 2024 के अमेरिकी चुनाव के लिए चुनावी फंडिंग, वैश्विक दबदबा और एक नए किस्म की रणनीतिक बढ़त दिखाई दे रही है।
अमेरिकी प्रशासन और ट्रंप परिवार
भारत में इस डील की टाइमिंग और उसमें शामिल लोगों की पृष्ठभूमि को देखते हुए यह सिर्फ तकनीकी निवेश न लगकर एक रणनीतिक चाल प्रतीत हो रही है। अमेरिकी प्रशासन और ट्रंप परिवार की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पारदर्शिता नहीं बरती गई, तो यह भविष्य में बड़े संकट का कारण बन सकता है।
भारत के विरोधी, ट्रंप के कारोबारी दोस्त बन रहे
ट्रंप को इन देशों में सिर्फ कारोबार नहीं, चुनावी फंडिंग, रणनीतिक दबदबा और वैश्विक प्रभाव का रास्ता नजर आ रहा है। अब भारत के विरोधी, ट्रंप के कारोबारी दोस्त बन रहे हैं। सवाल ये नहीं कि ट्रंप किससे हाथ मिला रहे हैं, असली सवाल ये है कि भारत को इसकी भनक कितनी देर से लगी।
यह भी पढ़ें: World-War 3: क्या तीसरा विश्व युद्ध अब नज़दीक है? कौन होंगे आमने-सामने और भारत का क्या होगा रुख?