दिल्ली दंगा: दिल्ली पुलिस ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा (एफिडेविट) दाखिल किया है।
पुलिस का कहना है कि यह दंगा कोई अचानक हुई हिंसा नहीं थी, बल्कि भारत में सत्ता परिवर्तन और देश को अस्थिर करने की एक बड़ी साजिश थी।
एफिडेविट में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस साजिश की योजना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय पर बनाई गई थी,
ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा जा सके और भारत की छवि खराब की जा सके।
पुलिस ने बताया कि इस साजिश के मुख्य चेहरे उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा थे।
दिल्ली दंगा: CAA को लेकर भड़की हिंसा
दिल्ली पुलिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडवोकेट राजत नायर और ध्रुव पांडे पेश हुए।
उन्होंने कहा कि फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के नाम पर हिंसा भड़काई गई थी।
इसका असली मकसद भारत के अंदर सौहार्द बिगाड़ना और दुनिया के सामने यह दिखाना था कि भारत में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है।
पुलिस के अनुसार, यह साजिश सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं थी, बल्कि उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी हिंसा फैलाने की योजना थी।
जांच में मिले चश्मदीद गवाहों के बयान, सोशल मीडिया रिकॉर्ड, इलेक्ट्रॉनिक डेटा और दस्तावेज़ यह साबित करते हैं कि यह हिंसा पहले से तय थी।
भारत की अखंडता पर हमला
एफिडेविट में पुलिस ने दावा किया कि यह हमला ट्रंप के भारत दौरे के दौरान ही इसलिए कराया गया,
ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत को लेकर नकारात्मक खबरें फैल सकें और नागरिकता कानून (CAA) को लेकर देश की छवि खराब की जा सके।
पुलिस ने कहा कि यह सिर्फ विरोध नहीं था, बल्कि भारत की अखंडता और संप्रभुता पर हमला करने की कोशिश थी।
इस मामले में सभी आरोपियों पर UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून) के तहत केस दर्ज है।
पुलिस का कहना है कि आरोपी जानबूझकर केस की सुनवाई में देरी कर रहे हैं।
वे बार-बार नई याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं ताकि ट्रायल लटक जाए और न्यायिक प्रक्रिया आगे न बढ़ पाए।
53 लोगों की मौत
पुलिस ने कोर्ट से कहा कि अगर इन आरोपियों को जमानत दी गई तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और जांच में दखल डाल सकते हैं।
इसलिए अदालत को जमानत याचिका खारिज करनी चाहिए।
बता दें कि फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में तीन दिन तक हिंसा हुई थी।
इस दंगे में 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। कई घर, दुकानें और धार्मिक स्थल भी जलाए गए थे।
अब सुप्रीम कोर्ट में 31 अक्टूबर को इस मामले पर सुनवाई होगी। इस सुनवाई में तय होगा कि आरोपियों को जमानत मिलेगी या नहीं।
दिल्ली पुलिस का यह हलफनामा एक बार फिर 2020 के दिल्ली दंगों को लेकर नई बहस छेड़ सकता है।


