देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में हाल ही में जारी जनसांख्यिकीय आंकड़ों ने एक बड़ा बदलाव दिखाया है।
रिपोर्ट के अनुसार, देहरादून के पछुवा दून क्षेत्र के 28 गांवों में अब मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक बन गई है।
यह बदलाव इसलिए चौंकाने वाला है क्योंकि पहले इन गांवों में हिंदू आबादी ज्यादा थी।
खासतौर पर विकास नगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव इस बदलाव में सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
Table of Contents
देहरादून: तेजी में हुआ बदलाव
ग्राम स्तर के आंकड़े बताते हैं कि यह बदलाव काफी तेजी से हुआ है। उदाहरण के लिए, ढकरानी गांव में 2011 में हिंदू आबादी 60% और मुस्लिम आबादी 40% थी,
लेकिन अब मुस्लिम आबादी बढ़कर 60% हो गई है और हिंदू आबादी घटकर 40% रह गई है।
इसी तरह, ढलीपुर में पहले हिंदू आबादी 75% थी, लेकिन अब हिंदू और मुस्लिम आबादी लगभग 50-50 प्रतिशत हो गई है।
28 गांवों के सामने आएं आकड़े
तिमली और कुशालपुर जैसे गांवों में मुस्लिम आबादी पहले से अधिक थी, लेकिन अब यह क्रमशः 95% और 96% तक पहुँच गई है।
धर्मावाला और जीवनगढ़ जैसे पहले संतुलित जनसंख्या वाले गांवों में भी अब मुस्लिम आबादी हिंदुओं के बराबर या उससे थोड़ी अधिक है।
अकेले पछुवा दून क्षेत्र के ही 28 गांवों में यह बदलाव देखा गया है।
जिहादी प्रधान की मिली भगत
जांच में पता चला कि इस बदलाव के पीछे कुछ स्थानीय गलत प्रथाएं भी रही हैं।
परिवार रजिस्टरों की पड़ताल में यह पाया गया कि कुछ मुस्लिम ग्राम प्रधानों ने अपनी पद की सुरक्षा के लिए और ग्राम सभा अधिकारियों की मिलीभगत से अपने रिश्तेदारों के नाम परिवार रजिस्टर में दर्ज करवा दिए।
आम तौर पर, किसी लड़की के शादी के बाद उसका नाम परिवार रजिस्टर से हट जाना चाहिए,
लेकिन कई मामलों में ऐसा नहीं हुआ। इसके अलावा, दामाद और बच्चों के नाम भी रजिस्टर में दर्ज पाए गए।
उत्तराखंड सरकार चिंतित
उत्तराखंड सरकार इस बदलाव को लेकर चिंतित है। पिछले दशकों में इस क्षेत्र के कई गांवों में हिंदू आबादी अधिक थी,
लेकिन अब कई गांवों में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक बन गई है। जिन लोगों के नाम रजिस्टर में गलत तरीके से दर्ज हैं,
वे सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। इनके नाम वोटर लिस्ट, आधार कार्ड और राशन कार्ड में भी बने हुए हैं।
यह बदलाव स्थानीय प्रशासन, चुनाव प्रक्रिया और सरकारी योजनाओं पर असर डाल सकता है।
इसलिए सरकार अब इस मामले में सक्रिय हो गई है और भविष्य में परिवार रजिस्टरों की सही जानकारी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की तैयारी कर रही है।
देहरादून के इस बदलाव से यह साफ है कि शहर के पिछड़े इलाके में जनसंख्या संरचना में तेजी से बदलाव हो रहा है।
प्रशासन को अब सतर्क रहना और सही कदम उठाना जरूरी है ताकि क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखा जा सके।