Court News: मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि धार्मिक स्थल ईश्वर की प्रार्थना के लिए होते हैं, इसलिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को अधिकार नहीं कहा जा सकता। रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी मुख्तियार अहमद द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए की। याचिका में राज्य के अधिकारियों को मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
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याचिका की स्वीकार्यता पर राज्य की आपत्ति को सही माना
इलाहबाद हाईकोर्ट की जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और डोनाडी रमेश की पीठ ने रिट याचिका की स्वीकार्यता पर राज्य की आपत्ति को सही पाया, क्योंकि याचिकाकर्ता न तो मुतवल्ली था और न ही मस्जिद उसकी थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है। इसी तरह, बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश देते हुए कहा कि यह किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
Court News: नियम विरुद्ध लाउडसस्पीकरों पर कार्रवाई के निर्देश
कोर्ट ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ध्वनि प्रदूषण के मानदंडों और नियमों का उल्लंघन करने वाले लाउडस्पीकरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया। (Court News) न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति एस.सी. चांडक की पीठ ने कहा कि शोर स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है और कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि अगर उसे लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी गई तो उसके अधिकार किसी भी तरह से प्रभावित होंगे।