कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया है कि बनारस के राज कमल दास एक शख्स हैं जिनके 40-50 बच्चे हैं। इसके लिए उन्होंने राजकमल दास का मजाक बनाते हुए कहा कि कमल का राज रहे इसलिए दास बनकर रह रहे हैं।
जबकि राज कमल दास जी एक सन्त हैं और उन्हें करीब 45 शिष्य हैं जो अपने पिता के नाम में अपने गुरु का नाम लिखते हैं और पते में अपना आश्रम लिखते हैं।
भारत के ज्यादातर साधु संतों में यही परंपरा है। फिर भी कांग्रेस साधु संतों के अपमान से बाज नहीं आ रही। यहां तक कि पत्रकार ने जब यह प्रश्न पवन खेड़ा से किया तो वह बड़ी बदतमीजी से बोले, “व्हाट एवर यू से”।
हिंदू धर्म की गुरु-शिष्य परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जिसमें गुरु को पिता के समान स्थान दिया जाता है।
सन्यास लेने के बाद शिष्य के सभी आधिकारिक दस्तावेजों में पिता के नाम की जगह गुरु का नाम दर्ज किया जाना इसी परंपरा का हिस्सा है।
यह न तो कोई धोखाधड़ी है और न ही कोई छिपी प्रक्रिया, बल्कि सनातन परंपरा का स्थापित नियम है।
योगी जी के आध्यात्मिक पिता हैं उनके गुरु महंत अवेद्यनाथ जी
योगी आदित्यनाथ जी इसका जीवंत उदाहरण हैं, जिनके सभी कागजात में पिता के नाम की जगह महंत अवैद्यनाथ का नाम दर्ज है।
महंत अवैद्यनाथ जी ने योगी जी को संत की दीक्षा दी थी, जिससे वे आधिकारिक रूप से उनके आध्यात्मिक पिता बने।
गोरखपुर के गोरक्षनाथ मठ में भी 100 से अधिक संत ऐसे हैं जिनके पिता के नाम में या तो महंत अवैद्यनाथ जी या महंत दिग्विजयनाथ जी का नाम दर्ज है।

यह हिंदू परंपरा का निर्विवादित हिस्सा है, जिसे समाज सम्मान और आस्था के साथ मानता है।
इसी प्रकार बनारस के एक मठ में गुरुजी के 40 शिष्य हैं, और स्वाभाविक है कि सभी के दस्तावेजों में पिता के नाम की जगह उनके गुरु का नाम दर्ज है। यह पूरी तरह से धार्मिक और सामाजिक परंपरा के अनुरूप है।
लेकिन कांग्रेस समर्थक और उनके कथित सेकुलर प्रवक्ता इसे ऐसे प्रसारित कर रहे हैं जैसे यह किसी तरह की धोखाधड़ी या फर्जीवाड़ा हो। यह न केवल अज्ञानता है बल्कि हिंदू धर्म के प्रति घोर घृणा का प्रदर्शन है।
कांग्रेस को नहीं है भारतीय परंपरा का ज्ञान ?
विडंबना यह है कि कांग्रेस समर्थकों को इस्लामिक नियम-कायदों की पूरी जानकारी होती है और वे उनका सम्मान भी करते हैं, लेकिन हिंदू धर्म के बुनियादी रीति-रिवाजों पर उनका ज्ञान शून्य है।
यह वही मानसिकता है जो हर बार चुनाव में जब हिंदू उन्हें वोट नहीं देते, तो मतदाता सूची को दोष देती है। असल खराबी मतदाता सूची में नहीं, बल्कि कांग्रेस और उनके समर्थकों की हिंदू विरोधी सोच में है।
दरअसल, यह रवैया कांग्रेस की उस सोच को उजागर करता है जिसमें हिंदू धर्म की मान्यताओं, परंपराओं और प्रतीकों को या तो तोड़ा-मरोड़ा जाता है या फिर उनका मजाक उड़ाया जाता है।
यह राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक परंपराओं पर हमला करने की रणनीति का हिस्सा है। जनता इसे अब समझ चुकी है, और यही कारण है कि कांग्रेस का जनाधार लगातार घट रहा है।