Jaipur: नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 रुपों की पूजा की जाती है। माता के दर्शन और सेवा भाव से ही सारे दुख, दर्द और कष्ट दूर हो जाते है। ऐसे में हम आपको कराने वाले है जयपुर के पहाड़ों में विराजमान माताओं के दर्शन। शहर से 35 किलोमीटर दूर पहाड़ियां गांव पर मां चामुंडा का शक्तिपीठ मंदिर स्थित है। यहां मां के सिर की पूजा होती है। यह मंदिर 449 साल पुराना है।
Jaipur: राजा ने कराया था निर्माण
ऐसी मान्यता है कि मां ने आमेर रियासत से जुड़े राजा सगत सिंह को स्वपन्न में दर्शन दिया था कि वो पहाड़ पर विराजमान है। जिस पर राजा ने मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर में विग्रह के ऊपर हाथीनुमा शिलाएं लटकी हुई हैं। मंदिर के सामने घना जंगल, मिट्टी के टिले व खाइयां हैं। इसी के साथ ही मंदिर तक जाने के लिए 600 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। नवरात्रि में मां के दर्शन के लिए श्रद्धालु की भीड़ उमड़ती रहती है। मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते है।
Jaipur: 400 सीढ़ियां होती है चढ़नी
वहीं दांता माता मंदिर 30 किमी दूर North East हाईवे पर स्थित है। दांत माता को मीणाओं के सीहरा राजवंश की कुल देवी माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण सीहरा राजवंश के राजा राव सींगोजी ने 1729 साल पहले करवाया था। मां के दर्शन के लिए भक्तों को 400 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है।
ग्वालों को देखकर हुई विराजमान
ऐसी कहा जाता है कि जमवारामगढ़ का प्राचीन नाम मांच नगर था और यहां के शासक सीहरा मीणा थे। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि पहाड़ी पर दांत माता स्वर्ण रथ में सवार होकर जाती थी। उस वक्त ग्वालों ने देख लिया तो माता यहीं पर विराजमान हो गई। रथ के आगे के हिस्से की दांत माता के रूप में पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी बच्चे का दांत नहीं निकल रहा है तो उसके परिजन यहां आकर दर्शन करते है। दर्शन मात्र से यह समस्या हल हो जाती है।