UPA government stopped BrahMos missile export deal: UPA सरकार का एक नया कारनामा देश के सामने आया है। केंद्र में 2004 से लेकर 2014 तक UPA की सरकार थी और डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। उस समय सत्ता की बागडोर सोनिया गाँधी के हाथ में थी। UPA सरकार ने तब जानबूझकर ब्रह्मोस मिसाइल के निर्यात से जुड़ी फाइलों को अटकाया। ब्रह्मोस की टीम का फिलीपींस दौरा रोक दिया गया था और इसके लिए राजनीतिक क्लियरेंस न होने की बात कही गई थी। कोई पॉलिसी न होने से असमंजस की स्थिति बनी रही, ब्रह्मोस के निर्यात में देरी हुई। ‘ABP News’ के पत्रकार आशीष सिंह ने कई पुराने पत्रों को जारी करते हुए ये खुलासा किया। इसके तार विदेश और रक्षा मंत्रालय तक जुड़े हुए हैं।
तीन अलग-अलग देशों से संबंधित हैं ये दस्तावेज
पत्रकार आशीष सिंह ने जो दस्तावेज उजागर किए हैं वे 3 अलग-अलग देशों से संबंधित हैं। असल में पिछले महीने ब्रह्मोस की पहली बार देश से बाहर डिलीवरी हुई, वो कई वर्षों पहले हो सकती थी अगर UPA सरकार लचर रवैया नहीं अपनाती। 17 अप्रैल, 2014 को विदेश मंत्रालय ने ब्रह्मोस के GM को पत्र लिखा था, तब टीम फिलीपींस जाने वाली थी। उन्होंने हिदायत दी गई कि बिना पॉलिटिकल क्लियरेंस के वो फिलीपींस न जाए। उस समय RK अग्निहोत्री ब्रह्मोस ऐरोस्पेस के CEO थे और उन्हें भी ये पत्र लिखा गया था।
‘मिशन ब्रह्मोस’@ABPNews पर बहुत बड़ा खुलासाI
यूपीए सरकार कैसे बनी बूतI
सनसनीख़ेज़ दस्तावेज…पक्के सबूतI
दस्तावेज बोले नीति-नीयत की पोल खोलेI
‘लटकाने-अटकाने’ वाली नीयत की साक्षात् गवाहीI
UPA में पॉलिसी पैरालिसिसI1) When BrahMos team was going to Philippines. They were stopped,… pic.twitter.com/Pe19WzDd7R
— Ashish Singh (@AshishSinghNews) May 24, 2024
आतंकियों के हाथ तकनीक जाने की आशंका जताई
तत्कालीन केंद्रीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने कहा था कि हम ब्रह्मोस के पक्ष में हैं, लेकिन इसके निर्यात के लिए हमारे पास कोई नीति नहीं है। इस पत्र में भी लिखा गया है कि MEA इसके लिए नीति बनाने की ज़रूरत पर जोर देती है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के नियमों के पालन की बात से लेकर आतंकियों के हाथ में तकनीक जाने की आशंका भी जताई गई है, लेकिन इसका कोई निदान नहीं बताया गया है। सिर्फ निर्यात के लिए किसी भी बातचीत से मना किया गया है।
ब्रह्मोस की पहली सफल डिलीवरी अप्रैल 2024 में
पीएम मोदी के शासन में भारत ने अप्रैल 2024 में ब्रह्मोस की पहली सफल डिलीवरी पूरी की। भारत और फिलीपींस के बीच इसे लेकर 375 मिलियन डॉलर (3114 करोड़ रुपए) की डीप हुई थी। भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से इसके पहले बैच की डिलीवरी पूरी की जा चुकी है। फिलीपींस अपनी सेना के आधुनिकीकरण की योजना के तहत ब्रह्मोस खरीद रहा है। चार खेप में ये मिसाइलें पहुँचाई गई हैं, हर खेप में 3 लॉन्चर और 290 किलोमीटर रेंज की 3 मिसाइलों के अलावा प्रत्येक लॉन्चर के लिए एक मोबाइल प्लेटफॉर्म दिया जाता है।
ये खासियत हैं भारतीय ब्रह्मोस मिसाइल की
बता दें कि ब्रह्मोस मध्यम रेंज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे सबमैरीन, जहाज या फाइटर एयरक्राफ्ट से लॉन्च किया जा सकता है। इसके जमीन और जहाज से मार करने वाले वर्जन हैं। भारत के ब्रह्मपुत्र और रूस की नदी मॉस्क्वा नदी के संयुक्त नाम पर इसका नाम ब्रह्मोस रखा गया है। अब 1500 किलोमीटर रेंज तक के ब्रह्मोस मिसाइलों के उत्पादन की तैयारी है। इसकी पहली टेस्ट फायरिंग जून 2001 में हुई थी। सितंबर 2010 में सुपरसोनिक स्पीड में टेस्ट की जाने वाली ये पहले स्टीप डाइव मिसाइल बनी।