Saturday, August 9, 2025

ब्लूमबर्ग ने किया मोदी-ट्रम्प संबंधों में दरार की वजह का खुलासा

मोदी-ट्रम्प संबंधों में दरार की वजह का खुलासा

प्रसिद्ध मीडिया समूह ब्लूमबर्ग ने दावा किया है कि उसने नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के व्यक्तिगत संबंधों में आई दरार के पीछे की असल वजह का पता लगा लिया है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला तब शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री मोदी जी-7 की बैठक के लिए कनाडा पहुंचे थे और उनकी राष्ट्रपति ट्रम्प से मुलाकात तय थी, लेकिन ट्रम्प बैठक के पहले ही दिन कनाडा से वापस लौट गए।

लौटने के बाद यह खबर आई कि ट्रम्प ने पाकिस्तानी जनरल असीम मुनीर के लिए व्हाइट हाउस में शानदार भोज का आयोजन किया।

अगले दिन राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी को भी इस भोज में शामिल होने के लिए फोन किया। करीब 35 मिनट चली इस बातचीत में दोनों नेताओं के बीच ऐसी बातें हुईं कि उनके व्यक्तिगत रिश्ते संवादहीनता की स्थिति में पहुंच गए। ब्लूमबर्ग रिपोर्ट में यह दावे किए गए हैं।

FB IMG 1754709333859
ब्लूमबर्ग ने किया मोदी-ट्रम्प संबंधों में दरार की वजह का खुलासा 2

ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कर दिया कि भारत न तो कभी इस पर सहमत था और न होगा कि पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव पर अमेरिका मध्यस्थता करे।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत ने रात में सैन्य कार्रवाई से घुटने टेकने पर मजबूर किया था और बाद में पाकिस्तान ने फोन कर कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया।

मोदी के इन शब्दों से ट्रम्प असहज हो गए, लेकिन फिर भी उन्होंने मोदी को पाकिस्तानी जनरल के साथ सामूहिक भोज का निमंत्रण दिया।

इस पर प्रधानमंत्री ने नाराजगी जताई कि अमेरिका पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को तो नहीं बुलाता, लेकिन सेना प्रमुख को बुलाकर सम्मानित कर रहा है, जो वहां के मिलिट्री शासन को मान्यता देने जैसा है।

मोदी ने कहा कि ये वही लोग हैं जो भारत में आतंकी हमलों के असली जिम्मेदार हैं, अतः इन्हें सम्मानित करना न पाकिस्तान के लिए उचित है और न भारत के लिए।

वॉशिंगटन का निमंत्रण ठुकराना और संवाद का अंत

प्रधानमंत्री मोदी ने व्हाइट हाउस के इस निमंत्रण को ठुकरा दिया और कहा कि उनका कार्यक्रम पहले से ही क्रोएशिया में तय है। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच दोबारा कोई बातचीत नहीं हुई।

ब्लूमबर्ग के अनुसार, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस के भारत दौरे के बाद दोनों देश तेजी से आगे बढ़ रहे थे और प्रतिनिधिमंडल को विश्वास था कि रिश्तों में कोई कॉमन ग्राउंड मिल जाएगा।

लेकिन भारत ने अमेरिका के भीतर की फार्मा और डेयरी लॉबी के दबाव को कम करके आंका। भारत को लगा कि अमेरिकी प्रतिनिधि इस दबाव में नहीं आएंगे, परंतु स्थिति उलट रही और लॉबी ने नेताओं पर गहरा प्रभाव डाला।

दोनों देशों के प्रतिनिधियों पर अलग-अलग दबाव थे, भारत ने कृषि और डेयरी सेक्टर पर कोई समझौता न करने का निर्देश दिया था, जबकि अमेरिका के प्रतिनिधियों पर चीन से वार्ता विफल होने के बाद भारत का बाजार खुलवाने का दबाव था।

अंतिम टकराव और ट्रम्प की बयानबाज़ी

ब्लूमबर्ग ने ये भी बताया कि स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दोनों पक्ष चाहते थे कि उनके राष्ट्राध्यक्ष दूसरे को फोन कर समाधान निकालें, लेकिन न प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रम्प को फोन किया और न ट्रम्प ने मोदी को।

इसके विपरीत, भारत पर दबाव बनाने के लिए ट्रम्प ने लगातार एक के बाद एक ‘रेड लाइन’ पार की। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रम्प के किसी भी बयान पर प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया और उनकी चर्चा से भी परहेज किया।

कई स्तर के दबाव के बावजूद भारत ने झुकने से इनकार कर दिया। अंततः झुंझलाए राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड इकॉनमी’ कहा और उस पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। इसके बाद से दोनों नेताओं के रिश्ते खुले टकराव और दूरी की स्थिति में बने हुए हैं।

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest article