Saturday, June 28, 2025

Bihar Politics: बिहार से शुरू हुई चुनाव आयोग की ऐतिहासिक पहल जो 2029 तक देशभर में बदल देगी वोटर लिस्ट की तस्वीर

Bihar Politics: चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की घोषणा के साथ एक बेहद अहम और ऐतिहासिक कदम उठाया है।

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इस प्रक्रिया की शुरुआत 25 जून से 26 जुलाई के बीच हो रही है और इसके तहत प्रत्येक मतदाता को एक नया पूर्व-मुद्रित ‘गणना फॉर्म’ भरना अनिवार्य होगा।

यह कदम सिर्फ एक प्रशासनिक कार्य नहीं बल्कि भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में बुनियादी परिवर्तन की नींव माना जा रहा है।

क्या है गणना फॉर्म और इसकी अनिवार्यता

Bihar Politics: इस बार राज्य में एक पूर्व-मुद्रित गणना फॉर्म जारी किया गया है, जिसमें प्रत्येक मतदाता का नाम, पुरानी तस्वीर, ईपीआईसी नंबर, पता और निर्वाचन क्षेत्र की जानकारी पहले से दर्ज होगी। यह फॉर्म सभी मतदाताओं को भरना है, खासकर उन्हें जिनका नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं है।

यह प्रक्रिया 25 जून से 26 जुलाई तक चलेगी, और 1 अगस्त को मसौदा वोटर लिस्ट जारी की जाएगी, जबकि अंतिम सूची 30 सितंबर तक प्रकाशित होगी।

Bihar Politics: क्या बदला है इस बार की प्रक्रिया में

2003 के गहन पुनरीक्षण के समय BLO घर-घर जाकर हाथ से रजिस्टर में एंट्री करते थे। अब उसी प्रक्रिया को तकनीकी और दस्तावेज़ आधारित रूप दिया गया है। इस बार हर मतदाता को नई फोटो, मोबाइल नंबर और जन्मतिथि भरनी होगी।

आधार नंबर वैकल्पिक है।

Bihar Politics: 2003 की वोटर लिस्ट में शामिल लोगों को अतिरिक्त दस्तावेज देने की जरूरत नहीं।

बाकी मतदाताओं को पहचान और नागरिकता प्रमाणपत्र देने होंगे।

Bihar Politics: किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी

जिनका नाम 2003 की सूची में नहीं है, उन्हें निम्न में से कोई एक या अधिक दस्तावेज़ देने होंगे:

  • जन्म प्रमाण पत्र
  • पासपोर्ट की कॉपी
  • सरकारी फोटो पहचान पत्र
  • परिवार रजिस्टर की प्रति
  • भूमि संबंधित दस्तावेज
  • शैक्षिक प्रमाण पत्र आदि

BLO की भूमिका और सत्यापन प्रक्रिया

Bihar Politics: BLO तीन बार तक हर घर जाकर फॉर्म भरवाने और दस्तावेज एकत्र करने का प्रयास करेंगे। अगर कोई व्यक्ति 25 जुलाई तक फॉर्म जमा नहीं करता, तो उसका नाम मसौदा सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि, उसका नाम हटाने से पहले उचित प्रक्रिया और पुनर्विचार का अवसर भी दिया जाएगा।

2003 से पहले के रिकॉर्ड का महत्व

इस नई व्यवस्था के तहत यदि किसी मतदाता के पास न जन्म प्रमाणपत्र है और न ही पासपोर्ट, तो अंतिम विकल्प के रूप में वह अपने पिता का नाम 2003 से पहले की मतदाता सूची में दिखा कर खुद को भारतीय नागरिक सिद्ध कर सकता है। यह एक निर्णायक कसौटी होगी जिससे घुसपैठियों की पहचान और बाहर निकासी की प्रक्रिया सरल हो सकेगी।

घुसपैठ पर सीधा प्रहार, वोटबैंक राजनीति को झटका

चुनाव आयोग का यह फैसला उन इलाकों में सबसे बड़ा प्रभाव डालेगा जहां बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को बसाया गया और उन्हें पहचान दस्तावेज दिलवाकर वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया।

अब पहली बार, बिना किसी संविधान संशोधन या नया कानून लाए, संविधान प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि “भारत के मतदाता वही होंगे जो भारत के नागरिक हैं।”

Bihar Politics: 2029 तक पूरे देश में होगा लागू

फिलहाल यह व्यवस्था बिहार विधानसभा चुनावों के लिए लागू की गई है, लेकिन चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि 2029 के लोकसभा चुनावों से पहले इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। यह निर्णय भारत की चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम कहा जा रहा है।

प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि चुनाव से ठीक तीन महीने पहले इस तरह की प्रक्रिया शुरू करने की टाइमिंग को लेकर सवाल उठ सकते हैं।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा में भी इसी तरह की ड्राइव चुनाव से ठीक पहले चली थी, जिससे कुछ पार्टियों को यह संदेह हुआ कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं थी।

Bihar Politics: उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को जनता के सामने पूरी प्रक्रिया को पारदर्शिता से समझाना चाहिए ताकि विश्वास बना रहे कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए है, न कि किसी विशेष वर्ग को बाहर निकालने के लिए।

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