Monday, July 21, 2025

बिहार में 11 हजार ‘नॉट ट्रेसेबल’ वोटर, EC की SIR ड्राइव से हुआ बड़ा खुलासा

बिहार में चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) ड्राइव के तहत 11,000 ऐसे वोटरों के नाम सामने आए हैं जिनका कोई अस्तित्व नहीं मिला। न तो इनके घर मिले, न ही कोई पड़ोसी इन्हें जानता है। यह खुलासा गंभीर चुनावी अनियमितताओं की ओर संकेत करता है।

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ECI के सूत्रों के अनुसार, ये लोग बांग्लादेशी या रोहिंग्या घुसपैठिए हो सकते हैं, जिन्होंने बिहार में फर्जी वोटर कार्ड बनवाए। इस खुलासे से राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि यह आशंका जताई जा रही है कि इनका उपयोग चुनावी परिणामों को प्रभावित करने में किया गया।

वोटर लिस्ट में गड़बड़ी, BLO की कई बार हुई जांच के बावजूद पते पर नहीं मिले लोग

ECI की रिपोर्ट में बताया गया है कि पुरानी लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते कई घुसपैठिए वोटर लिस्ट में शामिल हो गए। कई पते फर्जी पाए गए, और जहाँ पते असली थे, वहाँ भी निवासियों ने ऐसे नामों की जानकारी होने से इंकार किया।

बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) ने इन नामों की पुष्टि के लिए तीन बार घर-घर जाकर जाँच की, लेकिन इनमें से कोई भी व्यक्ति नहीं मिला। इससे स्पष्ट होता है कि वोटर लिस्ट को साफ करना बेहद जरूरी है।

41.64 लाख वोटर सूची से बाहर, जिनमें 11,000 हैं पूरी तरह ‘नॉट ट्रेसेबल’

SIR ड्राइव में अब तक 7.90 करोड़ मतदाताओं में से 95.92% की जाँच हो चुकी है। इसमें से 41.64 लाख लोग अपने पते पर नहीं पाए गए। इनमें 14.29 लाख मृतक, 19.74 लाख स्थानांतरित और 7.50 लाख डुप्लिकेट रजिस्ट्रेशन वाले थे।

इनमें सबसे अधिक चिंताजनक 11,000 वोटर वे हैं जिनका कोई भी रिकॉर्ड नहीं मिल पाया। इनका ‘नॉट ट्रेसेबल’ होना एक गहरी साजिश की संभावना को जन्म देता है, जो राज्य की लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।

विदेशी नागरिकों के पास मिले भारतीय दस्तावेज, सवालों के घेरे में सरकारी व्यवस्था

ECI की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों को भारतीय दस्तावेजों जैसे आधार, राशन कार्ड और डोमिसाइल सर्टिफिकेट के साथ पाया गया। यह गंभीर सुरक्षा चूक की ओर इशारा करता है और केंद्र व राज्य सरकारों के लिए चिंता का विषय बन चुका है।

अब इन मामलों की 1 से 30 अगस्त के बीच गहन जाँच की जाएगी और जो भी अवैध पाया जाएगा, उसे अंतिम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह प्रक्रिया अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बन गई है।

अंतिम सूची 30 सितंबर को, फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 25 जुलाई

अब तक 7.15 करोड़ फॉर्म जमा हो चुके हैं, जिनमें से 6.96 करोड़ डिजिटाइज किए जा चुके हैं। 25 जुलाई को फॉर्म भरने की अंतिम तिथि है, जबकि ड्राफ्ट लिस्ट 1 अगस्त को जारी होगी। 1 से 30 अगस्त तक दावे-आपत्तियाँ ली जाएँगी और 30 सितंबर को अंतिम सूची जारी की जाएगी।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई नाम गलती से जुड़ा या छूट गया हो, तो उसे 30 अगस्त तक ठीक किया जा सकता है। इसके लिए 1 लाख BLOs, 4 लाख वॉलंटियर्स और 1.5 लाख एजेंट काम कर रहे हैं।

विपक्ष का हमला और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी

विपक्षी दलों, खासकर INDIA ब्लॉक ने इस पूरी प्रक्रिया को ‘वोटबंदी’ बताते हुए आरोप लगाया कि यह अभियान NDA को फायदा पहुँचाने के लिए चलाया जा रहा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को दस्तावेजों की गहन जाँच के निर्देश दिए हैं।

SIR ड्राइव के तहत जुटाए जा रहे साक्ष्य अब केवल चुनाव सुधार का मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतंत्र की शुचिता से भी जुड़ गया है। आने वाले चुनावों में इसका असर निश्चित तौर पर दिखेगा।

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