बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर शनिवार को पटना में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और दोनों चुनाव आयुक्तों ने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ अहम बैठक की।
इसमें जेडीयू, बीजेपी, कांग्रेस, राजद और बीएसपी समेत कई दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में सुरक्षा, पारदर्शिता और आचार संहिता जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
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जेडीयू की मांग: एक चरण में चुनाव
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने राज्य में विधानसभा चुनाव को एक ही चरण में संपन्न कराने की मांग रखी। पार्टी का तर्क था कि इससे पूरी प्रक्रिया जल्दी पूरी होगी और प्रशासनिक मशीनरी पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ेगा।
बीजेपी का प्रस्ताव: एक या दो चरणों में मतदान
बीजेपी ने भी लंबे चरणों में चुनाव कराने का विरोध किया। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि ज्यादा चरणों की वोटिंग से उम्मीदवारों का खर्च बढ़ता है और मतदाताओं को असुविधा होती है। इसलिए चुनाव आयोग को अधिकतम दो चरणों में चुनाव कराने चाहिए।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: सुरक्षा पर जोर और बुर्का विवाद
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बैठक में बीजेपी ने चुनावी सुरक्षा पर भी जोर दिया। उन्होंने मांग की कि पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित बहुल गांवों में पैरामिलिट्री फोर्स की गश्त हो। वहीं दियारा क्षेत्रों में बूथ लूट की संभावना को देखते हुए घुड़सवार बल की तैनाती की जाए।
हालांकि, बीजेपी का यह सुझाव विवादों में आ गया कि बुर्का पहनकर मतदान करने वाली महिलाओं पर रोक लगाई जाए। अन्य दलों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और इसे भेदभावपूर्ण बताया।
बीएसपी की चिंता: गरीब उम्मीदवार और चुनावी खर्च
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने गरीब उम्मीदवारों की दिक्कतों को सामने रखा। पार्टी प्रतिनिधि सुरेश राव ने कहा कि अखबारों में आपराधिक मामलों के प्रकाशन का खर्च उम्मीदवारों के लिए भारी पड़ता है।
इसलिए आयोग को दरें तय करनी चाहिए ताकि सबको बराबरी का मौका मिल सके। बीएसपी ने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान दलित बस्तियों के बूथवार डेटा साझा करने की प्रक्रिया पर पुनर्विचार किया जाए और मतदाताओं को प्रलोभन देने वाली घोषणाओं पर सख्ती से रोक लगे।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: जल्द हो सकता है चुनाव तारीखों का ऐलान
चर्चा के बाद यह भी संकेत मिले कि चुनाव आयोग अगले तीन दिनों में बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। पारदर्शिता, सुरक्षा और सुविधाओं को प्राथमिकता देने का भरोसा भी आयोग ने दलों को दिलाया।