बिहार चुनाव 2025 का राजनीतिक माहौल अब पूरी तरह गर्म हो चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू ने अपने सभी 101 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है।
इस घोषणा के साथ एनडीए में जेडीयू की सीट शेयरिंग की प्रक्रिया पूरी हो गई है और अब पार्टी के सभी उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।
नीतीश कुमार ने कहा है कि उनकी पार्टी के सभी प्रत्याशी जनता के बीच विकास, सुशासन और सामाजिक समरसता का संदेश लेकर जाएंगे।
जेडीयू ने अपनी पहली सूची में 57 प्रत्याशियों के नाम पहले ही घोषित कर दिए थे, जबकि अब दूसरी सूची में 44 और नामों को जोड़कर कुल 101 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा पूरी कर दी गई है।
इन ताज़ा नामों में कई पुराने और नए चेहरे शामिल हैं जो अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत जनाधार रखते हैं। दूसरी सूची में शामिल प्रमुख नाम इस प्रकार हैं।
सुल्तानगंज से डॉ. ललीत नारायण मंडल
कहलगांव से शुभानंद मुकेश
अमरपुर से जयंत राज
धोरैया (अ.जा.) से मनीष कुमार
बेलहर से मनोज यादव
चैनपुर से मोहम्मद जमा खान
करगहर से बशिष्ठ सिंह
काराकाट से महाबली सिंह
नोखा से नागेन्द्र चन्द्रवंशी
कुर्था से पप्पू कुमार वर्मा
जहानाबाद से चंद्रेश्वर चन्द्रवंशी
घोसी से ऋतुराज कुमार
नबीनगर से चेतन आनंद
रफीगंज से प्रमोद कुमार सिंह
यह सूची अनुभव और युवाशक्ति का मिश्रण पेश करती है। कई उम्मीदवार ऐसे हैं जो पिछली बार के चुनावों में करीबी मुकाबले में रहे थे,
जबकि कुछ संगठनात्मक रूप से सक्रिय कार्यकर्ताओं को पहली बार मौका दिया गया है।
इससे साफ है कि नीतीश कुमार ने इस बार चुनावी मैदान में ऐसे प्रत्याशियों को उतारा है जो स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ और जनता के बीच स्वीकार्यता रखते हैं।
जाति समीकरण का बैठाया तालमेल
जेडीयू की इस सूची में सामाजिक और जातीय संतुलन का ध्यान बारीकी से रखा गया है।
नीतीश कुमार की पहचान हमेशा एक संतुलित राजनीति करने वाले नेता के रूप में रही है, और इस बार भी उन्होंने हर वर्ग और समुदाय को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया है।
अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और महिला उम्मीदवारों को भी प्राथमिकता दी गई है।
उदाहरण के तौर पर, धोरैया सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रखते हुए मनीष कुमार को टिकट दिया गया है, व
हीं चैनपुर से मुस्लिम उम्मीदवार मोहम्मद जमा खान को उतारकर पार्टी ने अल्पसंख्यक समुदाय को साधने की रणनीति अपनाई है।
नीतीश कुमार का मानना है कि बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभाते हैं, इसलिए यादव, कुर्मी, कोइरी, राजपूत और दलित वर्गों के बीच सामंजस्य बनाए रखना हर चुनावी सफलता की कुंजी है।
JDU ने 101 सीट पर उतारें प्रत्याशी
एनडीए गठबंधन में इस बार सीट बंटवारा काफी शांतिपूर्ण रहा है। जेडीयू को 101, भाजपा को 117, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 10 और लोजपा(रा) को 15 सीटें मिली हैं।
भाजपा और जेडीयू के बीच हाल के वर्षों में कई बार राजनीतिक मतभेद रहे हैं, लेकिन इस बार दोनों दलों ने एकजुटता दिखाते हुए समझदारी से सीटों का बंटवारा किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का संयुक्त नेतृत्व एनडीए के लिए एक मजबूत समीकरण बना सकता है।
भाजपा के “ब्रांड मोदी” और जेडीयू के “ब्रांड सुशासन बाबू” का मेल बिहार में एक बार फिर सत्ता वापसी की राह आसान बना सकता है।
महागठबंधन भी मैदान में
वहीं, दूसरी ओर महागठबंधन भी पूरी तैयारी में है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों ने भी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट लगभग तैयार कर ली है।
विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों को लेकर नीतीश सरकार को घेरने की योजना बना रहा है।
तेजस्वी यादव लगातार यह कह रहे हैं कि बिहार को अब नई सोच और युवा नेतृत्व की जरूरत है, जबकि नीतीश कुमार अपनी स्थिर शासन और विकास कार्यों को जनता के सामने रखकर विश्वास मांग रहे हैं।
जेडीयू इस बार “काम किया है, फिर से करेंगे” के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है।
पार्टी अपने 18 साल के शासनकाल की उपलब्धियों जैसे सड़क, बिजली, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और शराबबंदी को अपने अभियान का केंद्र बना रही है।
पार्टी का मानना है कि बिहार में स्थिर सरकार और विकास के रास्ते को बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार का नेतृत्व आवश्यक है।
हालांकि उम्मीदवारों की घोषणा के बाद कुछ सीटों पर असंतोष की आवाजें उठी हैं, परंतु पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि इस चुनाव में “विजय सर्वोपरि” है।
कई पुराने नेताओं को टिकट न मिलने के बावजूद उन्हें संगठनात्मक भूमिकाएँ दी जाएंगी, ताकि पार्टी में कोई टूटन न हो और सभी स्तरों पर एकजुटता बनी रहे।
नीतीश कुमार की रणनीति इस बार भी वही पुरानी लेकिन असरदार लग रही है विकास और सामाजिक समीकरण का संतुलन।
वे जानते हैं कि बिहार की जनता को राजनीतिक अस्थिरता पसंद नहीं है और सुशासन ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है।
यही कारण है कि जेडीयू ने उम्मीदवार चयन में हर जिले, हर समुदाय और हर क्षेत्र की नब्ज को ध्यान में रखकर फैसला लिया है।