Indian Railways: भारत की सुरक्षा के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में सीमाएं सुरक्षित की जा रही हैं और बार्डर एरिया तक सामरिक सामग्री तेजी से पहुंचाने के सभी जरूरी उपाया किए जा रहे हैं। इसके तहत अनेक पुल और टनल बनाए जा रहे हैं। भारतीय रेलवे भी ट्रैक बिछाकर रेल दौड़ाने के काम में जुटा है।
सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नार्थ ईस्ट में भारतीय रेल ने बड़ी तैयारी की है। चीन से सटे इलाकों तक ट्रैक बिछाने का काम तेजी से चल रहा है। रेलवे का दावा है कि कम समय में नॉर्थ ईस्ट के इलाकों में अधिक दूरी तय किया जा सकेगा। रेलवे ने बताया कि पहाड़ी इलाके होने के बावजूद रेलवे की ओर से ऐसे ट्रैक बनाए जा रहे हैं, जिससे कि 100 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेनों का परिचालन हो सके।
तिब्बत की सीमा पर चल रही परियोजनाएं
तिब्बत की सीमा पर सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण दो बिन्दु- नाथू ला और तवांग तक रेलवे लाइन बिछाने की परियोजनाएं चल रही है। आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल 2025 तक कुल 1368 किलोमीटर लंबी और 74 हजार 972 करोड़ रुपए लागत वाली 18 परियोजनाएं (13 नई लाइनें और 5 दोहरीकरण) निर्माण चरण में हैं, जिनमें से मार्च 2024 तक 313 किलोमीटर लंबी परियोजनाएं चालू हो गई है और 40 हजार 549 करोड़ रुपए खर्च हो चुका है।
तेजी से हो रहा है विद्युतीकरण
भारत के सुदूर पूर्वोत्तर क्षेत्र की कठिन पहाड़ी भौगोलिक चुनौतियों का सामना करते हुए भारतीय रेलवे चट्टानों को तोड़ कर, पहाड़ को चीर कर और नदियों को लांघ कर तेजी से आठों राज्यों को रेल नेटवर्क का विस्तार एवं विद्युतीकरण करने में जुटी है। बीते दस साल में पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेलवे के विकास की रफ्तार ढाई गुना बढ़ी है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेलवे अवसंरचना परियोजनाओं का भारतीय रेल के पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) जोन क्रियान्वयन कर रहा है।
प्रधानमंत्री का है विशेष ध्यान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नार्थ ईस्ट को भारत का ग्रोथ इंजन बताया है। पूर्वोत्तर के आठ राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा को अष्टलक्ष्मी कह कर संबोधित किया है। वहीं, पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रमुख परियोजनाओं में ताजा प्रगति असम के दरांग जिले से गुजरने वाली अगथोरी-डेकारगांव (155 किलोमीटर) नई रेल लाइन परियोजना में हुई है. इस परियोजना के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे को मंजूरी दे दी गई है।
चीन के पास तक पहुंचा जा सकता है तेजी से
सरकार ने तिब्बत की सीमा पर प्राचीन रेशम मार्ग के द्वार नाथू ला तक रेल लाइन परियोजना को स्वीकृति दी है। जबकि रंगपो से गंगटोक की लाइन पर जल्द काम शुरू होने की उम्मीद है। गंगटोक से नाथू ला तक करीब 160 किलोमीटर की लाइन का सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है। इस लाइन का निर्माण ऐसी डिजाइन से किया जा रहा है जिस पर ट्रेन 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से दौड़ सके। इस परियोजना से जुड़े उच्चाधिकारियों का मानना है कि गंगटोक तक रेल लाइन बन जाने से गंगटोक एवं सिलीगुड़ी के बीच यात्रा का समय डेढ़ से दो घंटे में रह जाएगा जो अभी सड़क मार्ग से साढ़े तीन से चार घंटे लगते हैं।
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