Thursday, May 15, 2025

Bhushan Ramkrishna Gavai: भारत के पहले बौद्ध और 52वें CJI बने भूषण रामकृष्ण गवई

Bhushan Ramkrishna Gavai: जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई भारत के पहले बौद्ध और देश के स्वतंत्रता के बाद दलित समुदाय से दूसरे मुख्य न्यायाधीश बने हैं। उनसे पहले जस्टिस के. जी. बालकृष्णन इस सर्वोच्च पद तक पहुंचे थे।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ न्यायाधीश भी शामिल हुए। जस्टिस गवई ने जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लिया, जो एक दिन पहले रिटायर हुए थे।

Bhushan Ramkrishna Gavai: ऐतिहासिक फैसलों से जुड़ा कार्यकाल

गवई का कार्यकाल कई बड़े और ऐतिहासिक फैसलों से जुड़ा रहा है। उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने, चुनावी बॉन्ड योजना रद्द करने और नोटबंदी जैसे मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब उनके सामने सुप्रीम कोर्ट में 81,000 से अधिक लंबित मामलों का निपटारा और वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 जैसे जटिल मुद्दों की सुनवाई की चुनौती है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश

जस्टिस गवई 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे। तब से उन्होंने करीब 300 फैसलों का लेखन किया और 700 से ज्यादा बेंचों का हिस्सा रहे। उनका न्यायिक कार्यक्षेत्र व्यापक रहा है, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, पर्यावरण संरक्षण, कार्यपालिका की शक्ति पर नियंत्रण और संवैधानिक अधिकार जैसे विषय शामिल हैं।

370 को खत्म करने के फैसले को वैध ठहराया

दिसंबर 2023 में, वह उस पांच सदस्यीय पीठ में शामिल थे, जिसने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले को वैध ठहराया था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था। वहीं, वह उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया।

नोदबंदी का फैसला

नोटबंदी से जुड़े फैसले में भी वह पांच सदस्यीय बेंच में थे, जिसमें 4:1 के बहुमत से केंद्र सरकार के 1,000 और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के निर्णय को सही ठहराया गया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक विवादित टिप्पणी, जिसमें महिला के साथ दुर्व्यवहार को बलात्कार का प्रयास न मानने की बात कही गई थी, उस पर रोक लगाने वाली बेंच की अध्यक्षता भी जस्टिस गवई ने ही की। उन्होंने उस टिप्पणी को असंवेदनशील और अमानवीय करार दिया।

पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ

सात सदस्यीय एक अन्य बेंच में उन्होंने फैसला दिया कि राज्य सरकारें अनुसूचित जातियों के भीतर उप-श्रेणियां बनाकर सबसे पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ देने का अधिकार रखती हैं। जनवरी 2023 में, वह उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने यह स्पष्ट किया कि उच्च पदों पर बैठे सरकारी अधिकारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संविधान में दिए गए प्रतिबंधों के अतिरिक्त कोई नियंत्रण नहीं हो सकता।

भारतीय न्याय व्यवस्था को और मजबूत करेगा

इन्होंने ‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ निष्पक्षता और उचित प्रक्रिया की वकालत करते हुए बिना नोटिस के विध्वंस पर रोक लगाने का आदेश दिया। जस्टिस गवई ने अपने फैसलों में बार-बार संविधान की सर्वोच्चता को रेखांकित किया है।

जस्टिस संजीव खन्ना ने उनके नाम की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र सरकार ने 29 अप्रैल को स्वीकार कर लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि उनका संवैधानिक और कानूनी ज्ञान भारतीय न्याय व्यवस्था को और मजबूत करेगा।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में प्रमोट हुए थे। उनके रिटायरमेंट की तारीख 23 नवंबर 2025 है।

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Madhuri Sonkar
Madhuri Sonkarhttps://reportbharathindi.com/
ETV Bharat में एक साल ट्रेनिंग कंटेंट एडिटर के तौर पर काम कर चुकी हैं। डेली हंट और Raftaar News में रिपोर्टिंग, V/O का अनुभव। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और बॉलीवुड न्यूज पर अच्छी पकड़।
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