Wednesday, September 18, 2024

Bhil Pradesh: बासंवाड़ा में जुटे आदिवासी बोले-“आदिवासी हिंदू नहीं हैं, भील प्रदेश लेकर रहेंगे’

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Politics on Bhil Pradesh: देश के 4 राज्यों के 49 जिले मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस मांग को लेकर गुरुवार को राजस्थान में बासंवाड़ा के मानगढ़ धाम में आयोजित महारैली में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ धाम पहुंचे। इस रैली में कई सांसद-विधायक भी शामिल हुए। मानगढ़ धाम आदिवासियों का तीर्थ स्थल है। बता दें कि राजस्थान सरकार भील प्रदेश की मांग पहले ही खारिज कर चुकी है। उधर, आदिवासियों की भील प्रदेश की मांग को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है।

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राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के समक्ष रखेंगे मांग: रोत

बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि भील प्रदेश की मांग नई नहीं है। बीएपी पुरजोर तरीके से यह मांग उठा रही है। महारैली के बाद एक डेलीगेशन राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से प्रस्ताव के साथ मुलाकात करेगा। आदिवासी समाज ने राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात एवं मध्य प्रदेश के 49 जिलों को मिलाकर नया राज्य आदिवासी भील प्रदेश बनाने की मांग की है। इसमें राजस्थान के पुराने 33 जिलों में से 12 जिलों को शामिल करने की मांग है।

पंडितों के अनुसार न चलें आदिवासी महिलाएं: डामोर

भील समाज की सबसे बड़ी संस्था आदिवासी परिवार सहित 35 संगठनों ने यह महारैली बुलाई थी। आदिवासी परिवार संस्था की संस्थापक सदस्य मेनका डामोर ने मंच से कहा कि आदिवासी महिलाएं पंडितों के बताए अनुसार न चलें। आदिवासी परिवार सिंदूर नहीं लगाते। मंगलसूत्र नहीं पहनते। आदिवासी समाज की महिलाएं-बालिकाएं शिक्षा पर फोकस करें। अब से सभी व्रत-उपवास बंद कर दें। हम हिंदू नहीं हैं। आदिवासी परिवार संस्था चारों राज्यों में फैली हुई है।

मंत्री खराड़ी बोले, जातीय आधार पर मांग सही नहीं

भारतीय आदिवासी पार्टी की आदिवासी क्षेत्र को अलग से Bhil Pradesh बनाने की मांग पर जनजातीय मंत्री बाबूलाल खराड़ी का बयान सामने आया है। बाबूलाल खराड़ी ने कहा है कि विकास के लिए छोटे राज्य कारगर होते हैं, लेकिन जातीय आधार पर अलग राज्यों की मांग करना सही नहीं है। इससे अलग-अलग जातीय और समाज के लोग अलग-अलग राज्यों की मांग करने लगेंगे। सामाजिक तानाबाना बिगड़ने लगेगा। उन्होंने आगे कहा कि मांग करना प्रत्येक राजनीतिक दल का अधिकार है, लेकिन यह मांग जायज नहीं है।

इन जिलों को करना चाहते हैं भील प्रदेश में शामिल

  • राजस्थान : बांसवाड़ा, जालोर, सिरोही, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां, पाली, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, डूंगरपुर और बाड़मेर।
  • गुजरात : अरवल्ली, बड़ोदरा, तापी, नवसारी, छोटा उदेपुर, महीसागर, दाहोद, पंचमहल, सूरत, नर्मदा, साबरकांठा, भरुचा और बनासकांठा।
  • मध्य प्रदेश : इंदौर, धार, देवास, खंडवा, खरगोन, गुना, शिवपुरी, मंदसौर, नीमच, रतलाम, बुरहानपुर, अलीराजपुर और बड़वानी।
  • महाराष्ट्र : जलगांव, धुले, पालघर, नासिक, ठाणे और नंदुरबार, भील प्रदेश फोटो।
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