Thursday, December 25, 2025

बांग्लादेश: कर्ज में डूबा यूनुस का गढ़, भारत से उलझा तो मुसीबत डबल!

बांग्लादेश: पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश जिस राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा है, उसने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

कभी पाकिस्तान से अलग होकर एक उदार, प्रगतिशील और अपेक्षाकृत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में उभरने वाला यह मुस्लिम-बहुल देश आज गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है।

कट्टरपंथी विचारधाराओं के बढ़ते प्रभाव, सामाजिक तनाव और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के आरोपों ने बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचाया है।

शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर होती कानून-व्यवस्था ने हालात को और जटिल बना दिया है।

राजनीतिक अनिश्चितता का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। सरकार के बदलते ढांचे, लगातार हो रहे प्रदर्शन और प्रशासनिक कमजोरी के कारण निवेशकों का भरोसा तेजी से कम हुआ है।

विदेशी निवेश में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जबकि घरेलू उद्योग भी असमंजस की स्थिति में हैं। इसके साथ ही सरकारी राजस्व में कमी और बढ़ते खर्च ने अर्थव्यवस्था को गहरे संकट में डाल दिया है।

आम जनता महंगाई, बेरोजगारी और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से परेशान है।

बांग्लादेश: कर्ज के बोझ तले बांग्लादेश

आर्थिक हालात इस हद तक बिगड़ चुके हैं कि बांग्लादेश को अपने खर्च चलाने के लिए कर्ज पर ज्यादा निर्भर होना पड़ रहा है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बीते एक वर्ष में कुल सरकारी कर्ज में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जून 2025 तक बांग्लादेश का कुल सरकारी कर्ज 21 लाख करोड़ टका से अधिक हो चुका है।

इसमें विदेशी कर्ज के साथ-साथ घरेलू ऋण भी शामिल है, जिससे भविष्य की आर्थिक स्थिरता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी बांग्लादेश की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता जताई है। IMF के अनुसार, देश की विदेशी कर्ज स्थिति अब “मध्यम जोखिम” के स्तर पर पहुंच चुकी है।

बांग्लादेश का डेट-टू-एक्सपोर्ट अनुपात लगभग 162 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो सुरक्षित मानी जाने वाली सीमा से काफी ऊपर है।

इसका अर्थ यह है कि देश की निर्यात आय के मुकाबले कर्ज का बोझ बहुत ज्यादा हो चुका है।

यदि निर्यात में और गिरावट आती है या वैश्विक बाजार में कोई बड़ा झटका लगता है, तो बांग्लादेश के सामने गंभीर वित्तीय संकट, दिवालिया होने का खतरा भी पैदा हो सकता है।

हालात बिगड़ने की वजहें

इस आर्थिक दबाव के पीछे कई कारण हैं। एक ओर राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक कमजोरी ने विकास की रफ्तार धीमी कर दी है,

वहीं दूसरी ओर वैश्विक आर्थिक मंदी, ऊर्जा संकट और मुद्रा अवमूल्यन ने भी स्थिति को खराब किया है। इन हालात में सरकार को जरूरी वस्तुओं के आयात के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

इसी दबाव के चलते बांग्लादेश को भारत से 50 हजार टन चावल रियायती दरों पर आयात करने का फैसला करना पड़ा है। इससे बांग्लादेश को अन्य देशों की तुलना में कम कीमत पर अनाज मिलेगा और खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में मदद मिलेगी।

यह कदम दिखाता है कि आर्थिक संकट का असर अब आम लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों तक पहुंच चुका है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों की भूमिका

हालांकि नई अंतरिम सरकार के गठन के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में कुछ तनाव देखने को मिला है, लेकिन दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंध अब भी मजबूत हैं।

भारत ने अतीत में बांग्लादेश को वित्तीय सहायता, ऋण और बुनियादी ढांचा विकास में महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। सड़क, पुल, बिजली परियोजनाएं और ऊर्जा सहयोग इसका उदाहरण हैं।

मौजूदा संकट में भी भारत की भूमिका बांग्लादेश के लिए अहम बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राजनीतिक स्थिरता बहाल होती है और क्षेत्रीय सहयोग मजबूत होता है, तो बांग्लादेश इस कठिन दौर से बाहर निकल सकता है,

लेकिन इसके लिए जरूरी है कि देश में कानून-व्यवस्था सुधरे, कट्टरपंथ पर लगाम लगे और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ठोस सुधार किए जाएं।

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Madhuri
Madhurihttps://reportbharathindi.com/
पत्रकारिता में 6 वर्षों का अनुभव है। पिछले 3 वर्षों से Report Bharat से जुड़ी हुई हैं। इससे पहले Raftaar Media में कंटेंट राइटर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में कार्य किया। Daily Hunt के साथ रिपोर्टर रहीं और ETV Bharat में एक वर्ष तक कंटेंट एडिटर के तौर पर काम किया। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और एंटरटेनमेंट न्यूज पर मजबूत पकड़ है।
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